राजनांदगांव

निर्माण विभागों में अफसरशाही का आरोप, राजधानी में ठेकेदारों ने खोला मोर्चा
17-Sep-2025 3:13 PM
निर्माण विभागों में अफसरशाही का आरोप,  राजधानी में ठेकेदारों ने खोला मोर्चा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजनांदगांव, 17 सितंबर। प्रदेश के निर्माण विभाग में बढ़ती अफसरशाही व विसंगतियों को लेकर प्रदेशभर के आक्रोशित ठेकेदार राजधानी रायपुर में एकत्रित होकर संबंधित विभाग के खिलाफ  मोर्चा खोल दिया है।

रायपुर में 16 सितंबर को आयोजित प्रदेश कांट्रेक्टर एसोसिएशन के उक्त बैठक  में पहुंचे प्रदेशभर के ठेकेदार निर्माण विभाग की लापरवाही व कई-कई महीनों तक ठेकेदारों के  बिल भुगतान नहीं किए जाने पर आक्रोश प्रकट करते लामबंद हुए हैं। इस बैठक में राजनांदगांव जिला कांट्रेक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सिंगी के नेतृत्व में ठेकेदार आलोक बिंदल, दुश्यंत दास, राकेश जोशी आदि सहित 100 की संख्या में ठेकेदार राजधानी रायपुर की बैठक में शामिल हुए।

 बता दें कि राजधानी रायपुर के निजी होटल में आहूत उक्त बैठक में प्रदेशभर के कांट्रेक्टर नजर आए।  इसमें निर्माण विभागों में मनमानी और विसंगतियों को लेकर कांट्रेक्टरों ने रोष जताया है। उनका आरोप है कि समय पर बिलों का भुगतान नहीं होने से न तो निर्माण कार्य आगे बढ़ जाते हैं और उनमें तेजी आती है। ऐसे में विभागों के आलाधिकारियों का सबसे ज्यादा दबाव ठेकेदारों पर ही होता है। बैठक में राज्य सरकार के सामने निर्माण संबंधी मुद्दों को प्रमुखता से रखने का निर्णय लिया गया।

 राज्य के विकास में कांट्रेक्टरों की अहम भूमिका

बैठक में कांट्रेक्टर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष बीरेश शुक्ला ने कहा कि राज्य के विकास में कांट्रेक्टरों की अहम भूमिका होती है, लेकिन विभागीय अफसरों द्वारा समस्याओं का निराकरण करने के बजाय हर स्तर पर जटिल प्रक्रिया उत्पन्न करने में ही ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं। इसके पीछे अफसरों की क्या मंशा है, यह समझ से परे है। ऐसे रवैये से निर्माण कार्य प्रभावित होते हैं और कांट्रेक्टर अनावश्यक रूप से परेशान होते हैं। जबकि निर्माण कार्यों की प्रक्रिया ऐसी होती है कि लाखों रुपए की सामग्री उधारी में लेना पड़ता है और जब विभागों से बिलों का भुगतान होता है, तब ट्रेडर्स को बकाया चुकाते  हैं, परंतु स्थिति यह है कि निर्माण विभागों में अफसरशाही और मनमानी की वजह से करोड़ों रुपए का बिल छह महीने से लेकर एक साल से पेंडिंग हैं।

 

 

 

जिसका भुगतान नहीं किया जा रहा है। जबकि डिवीजन स्तर पर मेजरमेंट और बिल बनने के बाद भी भुगतान नहीं किया जाता है। इसका सीधा असर निर्माण कार्यों पर पड़ता है।


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