राजनांदगांव

आर्थिक असमानता से उबर नहीं पा रहे मजदूर
30-Apr-2025 3:59 PM
आर्थिक असमानता से उबर नहीं पा रहे मजदूर

मजदूर दिवस पर विशेष 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 30 अप्रैल।
मजदूरों की जिंदगी भार ढोने से उबर नहीं पाई है। आर्थिक असमानता ने इस वर्ग के राह में तकलीफों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। अभाव और सीमित सुविधाओं के जरिये मजदूर कष्टदायी जीवन जीने मजबूर हैं। हाल ही के वर्षों में बढ़ी आर्थिक खाई ने मजदूरों की तरक्की को घेरे रखा है। जबकि एक वर्ग सुविधाओं से लैस है। विपरीत परिस्थितियों में जी रहे मजदूरों को सरकारी योजनाओं से भी खास फायदा नहीं हुआ है। 

आज भी मजदूर भार ढ़ोने को किस्मत मानकर दो वक्त की रोटी से अपनी आजीविका चला रहे हैं। बरसते पानी और कड़ी धूप में मजदूरों को लंबी इमारते खड़ी करने से लेकर लोगों के घरों की दहलीज में समान ढ़ोते देखा जा सकता है। एक मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन यह तबका मजदूर दिवस की खासियत से बेखबर है।  इस संबंध में ‘छत्तीसगढ़’  ने कुछ मजदूरों से उनकी जिंदगी में हुए बदलाव और बुनियादी सुविधाओं को लेकर चर्चा की। रिक्शा चालक चिखली निवासी जोगीलाल साहू ने कहा कि वह बीते 30 वर्ष से रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण कर रहा है। साल में एक बार मजदूर दिवस आता है, यह अच्छी बात है। 

 

उन्होंने कहा कि  सुबह से देर शाम तक शहर के अलग-अलग इलाकों व गलियों में सवारी लेकर उनके गंतव्य तक ले जाने की मजदूरी करता है। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी और बारिश के मौसम में सवारी नहीं मिलने से मजदूरी नहीं बन पाती । ऐसे में परिवार चलाने में दिक्कतें होती है। गर्मी और बारिश के सीजन में दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। इधर गोकुल नगर  क्षेत्र का रहने वाले सुभाष यादव का कहना है कि वह अपने परिवार का भरण पोषण ठेला में सामान ढ़ोकर  मजदूरी कर रहा है। वह यह काम लगभग 25 वर्षों से कर रहा है। कड़ी धूप और बारिश में भी वह सामानों को ढ़ोने  में जुटा रहता है। उनका कहना है कि परिवार का भरण-पोषण करने के सामने सामान का बोझ ज्यादा नहीं है। हालांकि गर्मी और बारिश में थोड़ी दिक्कतें जरूर होती है। 

हालांकि हिम्मत रखकर वह परिवार चलाने यह काम कर रहे हैं।


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