राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 14 जनवरी। भाजपा सरकार द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण प्रावधानों में किए गए दुर्भावनापूर्वक संशोधन के चलते अधिकांश जिला और जनपद पंचायतों में ओबीसी आरक्षण खत्म हो गया है। जिसको लेकर शहर जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा ने बयान जारी कर कहा कि प्रदेश के 16 जिला पंचायत और 85 जनपदों में जहां पहले 25 प्रतिशत सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हुआ करती थी, अब अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म हो गया है।
श्री छाबड़ा ने आगे कहा कि मैदानी क्षेत्रों में अनेक पंचायतें ऐसी है, जहां लगभग 90 से 99 प्रतिशत आबादी ओबीसी की है, लेकिन वहां पर भी ओबीसी के लिए सरपंच का पद आरक्षित नहीं है। पंचों का आरक्षण भी जनसंख्या के अनुपात में कम है। पूर्व में ओबीसी के लिए आरक्षित ये सभी सीटें अब सामान्य घोषित हो चुकी है। साय सरकार द्वारा आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में किए गए दुर्भावनापूर्वक संशोधन के बाद अनुसूचित जिले और ब्लॉकों में जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और पंचों का जो भी पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित था, वह अब सामान्य सीटे घोषित हो गई है। बस्तर और सरगुजा संभाग में आरक्षित वर्ग को बड़ा नुकसान है। सरगुजा संभाग के पांच जिले अंबिकापुर, बलरामपुर, सूरजपुर, कोरिया, मनेंद्रगढ, चिरमिरी, भरतपुर सोनहत, बस्तर के 7 जिले बस्तर, कांकेर, कोंडागांव, दंतेवाडा, नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर सहित मानपुर मोहला, जशपुर, गैरोला पेंड्रा मरवाही और कोरबा जिले में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कुछ बचा ही नहीं है।
श्री छाबड़ा ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते कहा कि भाजपा की सरकार के बदनियति के चलते अन्य पिछडा वर्ग के उम्मीदवार चुनाव लडऩे से वंचित हो गए हैं। स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण के संदर्भ में साय सरकार ने जो दुर्भावनापूर्वक संशोधन किया है, वह ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय है, अत्याचार है। बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में ओबीसी वर्ग के लिए कुछ बचा ही नहीं। जबकि यहां बड़ी आबादी ओबीसी वर्ग की है, भाजपा सरकार ने दुर्भावनापूर्वक संशोधन करके पिछड़ा वर्ग के प्रतिभागियों के अधिकार को कुचल दिया है।