राजनांदगांव

बिना अनुमति चल रहे अवैध कबाड़ के कारोबार
18-Nov-2024 3:05 PM
बिना अनुमति चल रहे अवैध कबाड़ के कारोबार

चोरी के सामानों को भी खपाने का आरोप

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 18 नवंबर।
शहर में एक कारोबार ऐसा है। जिसमें बिना लाइसेंस के सालाना लाखों रुपए की आमदनी होती है। इस कारोबार में बेहिसाब कमाई के बाद भी सरकारी तंत्र कोई दखल नहीं देती। जी हां बात कर रहे हंै शहर के चिखली, गौरीनगर, लखोली, केशर नगर समेत अन्य इलाकों में अवैध तरीके से चल रहे कबाड़ी दुकानों की, जो बिना अनुमति के चल रहे हैं।

इन दुकानों पर सरकारी तंत्र का कोई नियंत्रण नहीं है। शहर में दर्जनभर से अधिक कबाड़ की दुकानें हैं, जो बिना लाइसेंस के खुलेआम चल रहे हैं। बिना अनुमति के संचालित इन दुकानों में कीमती सामानों को पानी के मोल खरीदकर कारोबारी लाखों रुपए कमा रहे हैं। इन दुकानों में कबाड़ खरीदी-बिक्री का न तो रसीद होता है और न ही कोई रिकार्ड, इसके बावजूद इन कबाडिय़ों ने  आज पर्यन्त तक लाइसेंस लेना जरूरी नहीं समझा। 

इस संबंध में सीएसपी पुष्पेन्द्र नायक ने ‘छत्तीसगढ़’  से कहा कि पुलिस की अवैध कबाड़ के कारोबार पर नजर है। समय समय पर कार्रवाई की जाती है। शिकायत आने पर उचित कार्रवाई होगी।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शहर के सार्वजानिक रोड व भीतरी इलाकों में कई कबाड़ दुकान हैं। इन दुकान के कबाड़ सामान सडक़ों तक फैले रहते हैं। सरकारी नालियों के ऊपर भी कबाड़ का ढेर लगा रहता है। कबाड़ दुकान के सामने लोहे की ठोकाई पिटाई से लेकर खुलेआम बड़ी-बड़ी गाडिय़ों को भी काटकर कबाड़ में तब्दील करते रहते हैं। शराब की खाली बोतलें भी डंप की जाती है। 

कई बार बोतल टूटने से कांच के टुकड़े सडक़ पर बिखर जाते हैं। जिसके चलते राह चलते लोगों के पैर जख्मी हो जाते है या क्रासिंग करते गाड़ी पंचर हो जाती है। इस पर प्रशासनिक अमला ध्यान नहीं देती। शहर में लंबे समय से साइकिल समेत मोटर साइकिल की चोरियां हो रही है। वहीं संबंधित थाना व पुलिस चौकी में एफआईआर की औपचारिकता निभाकर मामले को भूल जाते हैं।

सूत्रों का कहना है कि यहां के अधिकांश कबाडिय़ों के यहां किसी कागज के बाइक काटने का काम चलता है। पुलिस विभाग की शून्यता कार्रवाई पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। पुलिस प्रशासन के नाक के नीचे चल रही इस अवैध कारोबार को पता नहीं किस विभाग और किस सफेद पोश का संरक्षण है, जो कि नगर के थाना प्रभारी उसके कॉलर पर हाथ डालने की हिम्मत तक नहीं कर पा रहे हैं।
 


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