राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 10 नवंबर। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमीं तिथि 10 नवंबर को महिलाओं ने आंवला नवमी मनाई। बताया जा रहा है कि आंवला नवमी को अक्षय नवमीं भी का जाता है।
महिलाओं ने रविवार को आंवला पेड़ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। महिलाओं ने परिवार और संतान की सुख-समृद्धि की कामना को लेकर आंवला पेड़ के नीचे कथा सुनी और भोजन ग्रहण किया। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में महिलाओं एवं माताओं ने बड़ी संख्या में आंवला पेड़ के पास पहुंचकर पूजा-अर्चना की।
रविवार को शहर के अलग-अलग इलाकों की महिलाओं ने नगर निगम परिसर स्थित आंवला पेड़ के समीप एकत्रित होकर आंवला पेड़ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर परिवार और संतान की सुख-समृद्धि की कामना की। माताएं और महिलाएं आंवला नवमी पर रविवार को सुबह स्नान कर आंवला पेड़ के समीप पहुंची। वहीं पेड़ के नीचे पूर्व दिशा में खड़े होकर जल और दूध अर्पित की। इसके बाद पूजा आदि करने के बाद पेड़ के चारो तरफ सूत लपेटकर परिक्रमा की। अंत में आंवले की आरती उतारकर परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की।
इधर शहर के अलग-अलग इलाकों में स्थित आंवला पेड़ के समीप पहुंचकर महिलाओं ने परिवार और संतान की सुख-समृद्धि की कामना को लेकर पूजा की। शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है। इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा आदि किया जाता है, उनका पुण्य कई-कई जन्म तक प्राप्त होता है। यह व्रत उत्तरी भारत मनाया जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन पकाया जाता है और परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। महिलाएं इस व्रत को संतान का सुख प्राप्त करने और उनकी मंगलकामना के लिए करती हैं।