राजनांदगांव

नदी का सीना चीर सरकारी जमीनों में कर रहे रेत डंप
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 6 जुलाई। डोंगरगढ़ में लाखों रुपए के रेत की अफरा तफरी का मामला अभी शांत नहीं हुआ था कि अब शहर से सटे बस्तियों के सरकारी जमीनों में माफियाओं ने खुलेआम रेत डंप कर कारोबार कर रहे हैं।
रेत माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है कि उन्हें प्रशासन का खौफ नहीं है। खनिज विभाग की सुस्ती का माफिया पूरा फायदा उठा रहे हैं। माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है। माफियाओं और अफसरों के साथ राजनेताओं ने एक तिगड़ी बना ली है। जिसके चलते बारिश के मौसम में भी नदी का सीना चीरकर माफिया रेत उत्खनन कर रहे हैं। खनिज विभाग रेत उत्खनन करने वालों के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए कदम बढ़ाने से झिझक रहा है। वजह यह है कि खनिज विभाग के कतिपय अफसरों ने माफियाओं को शह दे रखा है।
प्रशासन के साथ नेताओं की भी संलिप्तता सामने आ रही है। ऐसे में रेत का व्यापार बारिश के मौसम में कमाई के लिहाज से फल-फूल रहा है। बारिश के सीजन में रेत की खूब मांग रहती है। माफियाओं को बरसात का इंतजार रहता है। डंप रेत से अच्छी कमाई कर माफिया और अफसर अपनी जेबे भर रहे हैं। इस बीच शहर से सटे आक्सीजोन से खुलेआम रेत का उत्खनन किया जा रहा है।
रेत के व्यापार में सत्तारूढ़ दल के नेताओं की रूचि होने के कारण सरकार की छवि खराब हो रही है। हालांकि औपचारिक कार्रवाई का आश्वासन देकर भाजपा के नेता शिकायतकर्ताओं को उल्टे पैर वापस भेज रहे हैं। रेत के मामले में गांव-देहात में तनाव की भी स्थिति है। इधर राजनांदगांव शहर से सटे ढाबा के सरकारी मैदान में भी लाखों रुपए का रेत डंप किया हुआ है।
बताया जा रहा है कि माफिया टुकड़ों में रेत की खेप को अलग-अलग इलाकों में भेज रहे हैं। इसके एवज में बड़ी कमाई माफियाओं के जेब में पहुंच रही है। वर्तमान में रेत का दाम 25 हजार रुपए हाईवा पहुंच गया है। जबकि बरसात से पहले 12 से13 हजार रुपए प्रति हाईवा निर्माण कार्यके लिए आसानी से मिल रही थी।
राजनांदगांव शहर के आसपास के बस्तियों में आसानी से रेत की कई खेप नजर आ रही है। डंप रेतों को जब्ती करने में प्रशासन यानी खनिज विभाग को जरा भी दिलचस्पी नहीं है। बहरहाल डोंगरगढ़ में 800 हाईवा रेत गायब होने के मामले में एसडीएम उमेश पटेल को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। जबकि खनिज विभाग के अफसर माफियाओं पर मेहरबान नजर आ रहे हैं।