राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 11 मई। शहर से सटे सिंगदई में अक्षय तृतीया पर बाल विवाह कराने की तैयारी को टॉस्क फोर्स समिति की दखल से रोक दिया गया।
ज्ञात हो कि कलेक्टर संजय अग्रवाल ने अक्ती पर्व पर बाल विवाह कराने पर सख्त रूख अख्तियार करते हुए एक समिति का गठन किया था।
सिंगदई में बाल विवाह आयोजित होने की सूचना पर टीम ने न सिर्फ बाल विवाह को रोका, बल्कि वर एवं कन्या पक्ष के लोगों को समझाईश देते हुए बाल विवाह को असंवैधानिक बताया। साथ ही बाल विवाह कराने के दौरान कठोर कारावास के प्रावधान से भी लोगों को अवगत कराया।
टीम ने वर एवं कन्या पक्ष को समझाईश देते बताया कि बाल विवाह करना एवं करवाना एक कानूनी अपराध है। विवाह के लिए वर की आयु 21 वर्ष तथा वधु की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। इस अपराध के लिए 2 वर्ष तक कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो एक लाख रुपए तक हो सकता है या दोनों से दंडित किया जाने का प्रावधान है।
बाल विवाह कराए जाने पर बाल विवाह में शामिल परिजनों सहित विवाह करने वाले संस्थान, पुरोहित, टेन्ट हाऊस, प्रिटिंग प्रेस, नाई, बैंड बाजा बजाने वाले व्यक्ति से लेकर खाना बनाने वाले एवं सगे संबंधी के विरूद्ध बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधान अनुसार कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन अक्षय तृतीया पर बाल विवाह रोकने के लिए सतर्क थी। कलेक्टर अग्रवाल ने जिले में बाल विवाह को रोकने जिला स्तरीय टास्क फोर्स समिति का गठन किया था। बाल विवाह रोकने जिला, जनपद एवं ग्राम पंचायत स्तर पर टीम बनाई गई थी। जिसमें ग्राम के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, शिक्षक, पंच अन्य शामिल थे, जिन्हें बाल विवाह होने की स्थिति में तत्काल सूचित किया जा सकता था। टीम के सदस्य द्वारा संभावित बाल विवाह को रोकने अपने आसपास निगरानी की जा रही थी।