राजनांदगांव

विभाग से समायोजन करने की मांग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 5 मार्च। विद्युत विभाग में सालों से डोर-टू-डोर मीटर रीडिंग कर रहे कर्मियों ने स्मार्ट मीटर लगाने का खुलकर विरोध करते हड़ताल शुरू कर दिया है। कर्मियों का मानना है कि स्मार्ट मीटर लगने से सालों से महकमा में काम कर रहे रीडरों के सामने रोजगार हाथ से जाना तय है, ऐसे में रीडरों के परिवारों का भरण-पोषण करना मुश्किल हो जाएगा। स्मार्ट मीटर का विरोध करते हुए कर्मियों ने विभाग से विभिन्न पदों की रिक्त सीटों पर समायोजन करने की मांग की है।
हड़ताल में जाने से ऑन द स्पॉट मीटर की रीडिंग नहीं हो पा रही है। ऐसे में विभाग को रीडिंग के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अभी तक मार्च के पहले सप्ताह में अलग- अलग क्षेत्रों की रीडिंग शुरू होती है। हड़ताल के कारण उक्त व्यवस्था प्रभावित हो गई है। विद्युत वितरण कंपनी के समक्ष रीडरों के हड़ताल के बाद कार्य के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। बताया जा रहा है कि स्मार्ट मीटर लगाने का काम पूरे जोरों पर है। सरकार ने एक निजी कंपनी को मीटर लगाने का काम भी सौंप दिया है।
एक जानकारी के मुताबिक प्रदेशभर में 15 हजार से ज्यादा मीटर रीडर सालों से काम कर रहे हैं। निजी कंपनी ने अपने सेटअप के तहत मीटर लगाने का सिलसिला शुरू कर दिया है। खास बात यह है कि मीटर रीडर काफी अनुभवी हो चुके हैं।
वहीं उनके परिवार का भरण-पोषण भी इसी काम से संभव होता था। हड़ताल में उतरे रीडर विभाग के अफसरों से ज्ञापन सौंपकर खाली पदों में समायोजन करने की मांग कर रहे हैं। हड़ताल के कारण जमीनी स्तर पर मीटर रीडिंग का काम अटक गया है। ऐसे में विद्युत विभाग को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
उपभोक्ताओं के ऊपर बढ़ेगा बोझ
मीटर रीडिंग कर्मियों के हड़ताल में जाने से उपभोक्ताओं के ऊपर आर्थिक भार पड़ सकता है। तय समय पर बिजली बिल नहीं पहुंचने पर भुगतान की स्थिति गड़बड़ा सकती है। उपभोक्ताओं को बिल चुकाने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। शहर के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अगल तिथियों में रीडरों द्वारा बिजली बिल पहुंचाया जाता है। मध्यम वर्गीय परिवार बिल का भुगतान करने के लिए एक नियत समय तक इंतजार करते हैं। यानी हड़ताल के कारण बिजली बिल अगले माह एकमुश्त दो महीने के अनुसार उपभोक्ताओं को मिल सकता है।
इससे उन पर आर्थिक दबाव बढऩा तय है।