राजनांदगांव

रमन के बाद सियासत में विजय शर्मा का भी रहेगा दखल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 16 दिसंबर। विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार फतह के बाद सियासी समीकरण भी व्यापक स्तर पर बदलता दिख रहा है। सत्ता में काबिज भाजपा का राजनांदगांव लोकसभा में उम्मीद से अधिक प्रदर्शन रहा है। इस लोकसभा में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और कवर्धा से पहली बार विजयी हुए विजय शर्मा अब सत्ता के दो नए केंद्र के तौर पर उभरे हैं।
राजनांदगांव विधानसभा से रमन 20 साल से विधायक चुने जा रहे हैं, वहीं रमन के गृह नगर कवर्धा से विजय शर्मा ने बाजी मारकर उप मुख्यमंत्री तक का सफर तय कर लिया है। यानी रमन के अलावा विजय शर्मा भी सत्ता के केंद्र बिन्दु बन गए हैं।
शर्मा की सियासत में स्वभाविक तौर पर दखल रहेगी। उपमुख्यमंत्री के नाते शर्मा का प्रत्यक्ष रूप से कवर्धा की सियासत में सीधा प्रभाव रहेगा। यानी राजनीति से लेकर प्रशासनिक नियुक्तियों में शर्मा की पसंद और नापसंद काफी मायने रखेगी।
2023 के विधानसभा के चुनाव में शर्मा ने कांग्रेस सरकार के ताकतवर मंत्री मो. अकबर को बड़े अंतर से शिकस्त दिया है। बताया जा रहा है कि शर्मा की इस जीत से उनका न सिर्फ प्रदेश, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी कद बढ़ा है।
कवर्धा विधानसभा में भाजपा हर हाल में जीत हासिल करने के लिए काफी पहले से तैयारी कर रही थी। भाजपा ने हिन्दुत्व के एजेंडे के दम पर कांग्रेस के दमदार विधायक अकबर को पराजित कर अपना डंका बजाया। इस जीत के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
सत्ता में आते ही भाजपा ने शर्मा को इस जीत के पुरस्कार स्वरूप सीधे उपमुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया। नई जिम्मेदारी के साथ शर्मा का सियासत में खासा वजन बढ़ा है।
अब तक राजनांदगांव पूरे लोकसभा का सत्ता का केंद्र बिन्दु रहा। अब कवर्धा भी सत्ता का एक नया सेंटर बन गया है। विधानसभा चुनाव परिणाम के आने के बाद से कवर्धा ने प्रदेश की सियासत में एक खास जगह बना ली है। शर्मा भाजपा शासनकाल में प्रभावशाली नेता के तौर पर काम करेंगे। वैसे शर्मा संगठन में महामंत्री के पद पर रहते पूरे प्रदेश की राजनीति को बखूबी समझते हैं।
भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर उपमुख्यमंत्री का सफर तय करने के साथ भाजपा की सियासत उनके इर्द-गिर्द रहेगी। प्रशासनिक फैसलों में भी उनकी मर्जी काफी मायने रखेगी।