राजनांदगांव

छग के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी वीरनारायण को किया याद
12-Dec-2023 3:33 PM
छग के प्रथम स्वतंत्रता सेनानी वीरनारायण को किया याद

दिग्विजय कॉलेज में मनाई गई जयंती

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 12 दिसंबर।
शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के इतिहास विभाग में शहीद वीरनारायण सिंह जयंती मनाई गई। प्राचार्य डॉ. केएल टांडेकर ने कहा कि वीरनारायण सिंह छत्तीसगढ़ प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। नारायण सिंह का जन्म 1795 में बिझवार जनजाति में हुआ था। 

1856 में छत्तीसगढ़ क्षेत्र में अल्पवर्षा के कारण भयंकर अकाल पड़ा, तब वीरनारायण सिंह ने ब्रिटिश कंपनी को कर देने में  समर्थता व्यक्त की और सहायता का निवेश किया। संकट की इस घड़ी में कुछ व्यापारियों ने अनाज को दबाकर रखा था। कसडोल के एक व्यापारी माखन ने अपने गोदाम में अनाज जमा कर रखा था, उसे अपने कब्जे में कर वीरनारायण सिंह ने किसानों को बांट दिया था। व्यापारी की शिकायत पर नारायण सिंह पर लूटमार और डकैती का आरोप लगाकर 24 अक्टूबर 1856 को रायपुर जेल में डाल दिया गया था। 

विभागध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि 1857 का विद्रोह जब प्रारंभ हुआ, उसकी हलचल छत्तीसगढ़ में भी हुआ। 28 अगस्त 1857 को नारायण सिंह जेल से भागने में सफल हो गए।  नारायण सिंह जानते थे कि ब्रिटिश  सरकार उन पर कार्रवाई करेगी। उन्होंने 500 सैनिकों की सेना संगठित की थी। सोनाखान पर आक्रमण की जिम्मदारी कर्नल स्मित को सौंपी गई। नारायण सिंह गिरफ्तार कर लिए गए। डिप्टी कमिश्नर इलियेट ने लिखा था। मेरे कोर्ट के समक्ष जमीदार को प्रस्तुत किया गया और उस पर 1857 की अधिनियम की धारा 6 एक्ट 14 के अंतर्गत उस पर अभियोग लगाया गया। मैंने उसे फांसी की सजा सुनाई। 

कार्यक्रम का संचालन करते प्रो. होरेन्द्र बहादुर ठाकुर ने कहा कि नारायण सिंह के रूप में अंग्रेजो के समक्ष चुनौती कितनी बड़ी थी, इसका अंदाज इस बात से लगता है कि नारायण सिंह को फांसी दिए जाने के बाद सरकार ने उन जमीदारों को पुरस्कार दिया, जिन्होंने नारायण सिंह के विद्रोह के दमन में उनकी मदद की। 

इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. टांडेकर द्वारा वीरनारायण सिंह से संबंधित प्रश्न पूछा गया और विभाग के उत्तर देने वाले विद्यार्थियों वैशल्या, पेमिन धारगवे, वर्षा साहू, नेमचंद-साहिल रावटे को पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर डॉ. अजय शर्मा, डॉ. हेमलता साहू तथा एमए के विद्यार्थी उपस्थित थे।
 


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