राजनांदगांव

कांग्रेस विधायकों को मिलती रहेगी चुनौती
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 9 दिसंबर। कांग्रेस प्रत्याशियों के हाथों पराजित हुए भाजपा के उम्मीदवार अगले 5 साल तक शैडो विधायक की भूमिका अदा करते प्रशासनिक कामकाजों में सीधी दखल रखेंगे। ऐसी स्थिति में कांग्रेस के निर्वाचित विधायकों को अपने क्षेत्रों के विकास के मामलों में राजनीतिक टकराव का सामना करना पड़ सकता है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अविभाजित राजनांदगांव जिले की छह में से 5 सीटें गंवा दी है।
राजनांदगांव विधानसभा से रमन सिंह ही एकमात्र भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुने गए हैं। पांच सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है। इन सीटों में सबसे कम अंतर में डोंगरगांव सीट पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। दूसरे कम अंतर वाली सीट खैरागढ़ रही। जबकि मोहला-मानपुर, खुज्जी और डोंगरगढ़ में कांग्रेस ने भारी अंतर से भाजपा के प्रत्याशियों को पराजित कर दिया।
डोंगरगांव से भाजपा प्रत्याशी भरत वर्मा 2700 वोटों से परास्त हुए। जबकि खैरागढ़ से विक्रांत सिंह 5 हजार मतों से पीछे रहे। बताया जा रहा है कि भाजपा के बैनर तले हार का सामना करने वाले सभी उम्मीदवार शैडो विधायक के तौर पर कामकाज करने का मन बना चुके हैं। राज्य में भाजपा शासन लौटने के बाद शैडो विधायक अपनी दखल रखने की तैयारी में हंै।
माना जा रहा है कि कुछ प्रत्याशी प्रशासनिक पकड़ रखने के लिए जोर लगा रहे हैं। कांग्रेस के विधायकों को ऐसी स्थिति में राजनीतिक परेशानी उठानी पड़ सकती है। सरकार नहीं होने का खामियाजा कांग्रेस विधायकों को भुगतना पड़ सकता है।
सूबे में भाजपा की सरकार के पदासीन होने से विजयी हुए कांग्रेस विधायक अगले 5 साल तक सियासी दुश्वारियों से घिरे रहेंगे। रही-सही कसर शैडो विधायक की तर्ज पर काम करने वाले भाजपा के हारे प्रत्याशी पूरा करेंगे। बहरहाल यह चर्चा का विषय है कि पराजित प्रत्याशी कांग्रेस विधायकों की मनमानी नहीं चलने देंगे। बात साफ है कि सभी विधानसभा में टकराव की स्थिति स्वभाविक रूप से बनेगी।