राजनांदगांव

नांदगांव जिले में सीट बढ़ाने भाजपा की ख्वाहिश रह गई अधूरी
06-Dec-2023 1:10 PM
नांदगांव जिले में सीट बढ़ाने भाजपा की ख्वाहिश रह गई अधूरी

2018 में थी एक सीट, 2023 के चुनाव में भी यथास्थिति

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
राजनांदगांव, 6 दिसंबर।
सूबे में शानदार प्रदर्शन करने वाली भाजपा को अविभाजित राजनांदगांव जिले में मतदाताओं ने जोरदार झटका दिया है। एक ओर प्रदेश के दूसरे हिस्से में भाजपा ने बंपर जीत हासिल की। वहीं राजनांदगांव के छह सीटों में भाजपा को एक सीट की जीत से संतुष्ट होना पड़ा। 

करीब एक दशक से भाजपा की स्थिति सीटों के लिहाजा से काफी कमजोर है। 2013 से लेकर 2023 के तीन चुनाव में भाजपा को  इक्का-दुक्का सीट में ही जीत नसीब हुई। दस साल से सीटों की तादाद बढ़ाने के लिए भाजपा जोर लगा रही है, लेकिन इस चुनाव में भी यह ख्वाहिश अधूरी रह गई।

2013 में भाजपा का राजनांदगांव से डॉ. रमन सिंह और डोंगरगढ़ से सरोजनी बंजारे ने मान बढ़ाया था। जबकि कांग्रेस के खाते में इस चुनाव में 4 सीटें चली गई, जिसमें डोंगरगांव से दलेश्वर साहू, मोहला-मानपुर से तेजकुंवर नेताम, खुज्जी से भोलाराम साहू और खैरागढ़ से गिरवर जंघेल विधायक चुने गए थे। 

2018 के चुनाव में भाजपा 2013 में मिली दो सीटों से एक सीट में आकर सिमट गई। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने एक बार फिर राजनांदगांव सीट जीती। 2018 में कांग्रेस ने पिछले चुनाव की तर्ज पर अपना प्रदर्शन बरकरार रखा,  जबकि एक सीट पर दिवंगत नेता देवव्रत सिंह जोगी कांग्रेस से चुने गए थे। 

2023 के चुनाव में भी कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन को बनाए रखा। छह सीट में से भाजपा को एकमात्र राजनांदगांव सीट हासिल हुई। पांच सीटों पर  कांगे्रस ने जीत का डंका बजाया। हालांकि कांग्रेस की यह सफलता सत्ता गंवाने से फीकी पड़ गई। 

विपक्ष के तौर पर पांचों विधायक सदन में क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर  आवाज बुलंद करेंगे। इस तरह अविभाजित राजनांदगांव में भाजपा के दिग्गजों की सभाओं और वादों से जनता ने मुंह मोड़ लिया। नतीजतन एक सीट पर ही भाजपा सिमटकर रह गई।
 


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