राजनांदगांव

सरकार बदलते ही नांदगांव नगर निगम में उठापटक शुरू
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
राजनांदगांव, 5 दिसंबर। सूबे में कांग्रेस सरकार की विदाई के साथ बदलते राजनीतिक परिस्थितियों के बीच राजनांदगांव नगर निगम में अविश्वास प्रस्ताव के लिए भाजपा ने दबाव बढ़ा दिया है। निगम में अविश्वास प्रस्ताव के लिए विधानसभा चुनाव से पहले कलेक्टर को विपक्षी भाजपा पार्षदों ने एक पत्र सौंपा था। सरकार बदलते ही भाजपा पार्षदों को अब अपनी मांग को पूरा करने का अवसर हाथ लगा है।
माना जा रहा है कि भाजपा के स्थानीय नेता अविश्वास प्रस्ताव के मुहिम को तेज करने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं। सोमवार को कामकाज शुरू होते ही निगम में भाजपा पार्षदों ने जीत का जश्न मनाने के आड़ में यह इशारा कर दिया है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए जल्द ही ठोस कदम उठाया जाएगा। निगम कार्यालय में पहुंचे भाजपा पार्षदों ने अपनी एकता का प्रदर्शन किया।
निगम के नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु के नेतृत्व में पार्षदों ने सूबे में भाजपा की सरकार बनने की खुशी मनाते हुए अविश्वास प्रस्ताव लाने का अपना इरादा जता दिया। इस बीच महापौर हेमा देशमुख ने अविश्वास प्रस्ताव मुहिम की भनक लगने के मद्देनजर अपनी पार्टी के पार्षदों को संगठित करने के लिए बकायदा बैठक की। महापौर के कुछ मिनट में मिले संदेश के तहत सभी पार्षद महापौर के कक्ष में पहुंच गए।
बताया जा रहा है कि महापौर ने सभी पार्षदों को अलर्ट रहने तथा भाजपा के प्रभाव में नहीं आने के लिए नसीहत दी है। सत्ता के दबाव में पार्षदों को नहीं आने के लिए भी महापौर ने अपनी ओर से कई सुझाव दिए। शहर में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर चर्चाएं छिड़ गई है। हालांकि संख्या बल के लिहाज से कांग्रेस काफी मजबूत है। 51 पार्षदों वाले नगर निगम में कांग्रेस के खाते में 31 पार्षद हैं। जबकि भाजपा के पास 19 पार्षद हैं। एक पार्षद दूसरे दल से संबंधित है। जिसमें महापौर चुनाव के दौरान कांग्रेस को समर्थन दिया था। बताया जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव के लिए कम से कम 37 पार्षदों की सहमति होना चाहिए। आंकड़ों के लिहाज से भाजपा इससे काफी दूर है। जोड़तोड़ के जरिये नगर निगम में तख्ता पलट करने की भी कोशिश शुरू होने की अटकले लग रही है। कांग्रेस का कार्यकाल एक साल के लिए शेष है। ऐसे में भाजपा सत्ता के दम पर नगर निगम में उठापटक करने कोई मौका नहीं छोड़ेगी।