राजनांदगांव

दो पूर्व विधायकों शाह-खांडेकर को टिकट देना भाजपा की चूक
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 4 दिसंबर। विधानसभा चुनाव के परिणाम में अब हार-जीत की वजहों को लेकर संगठन और प्रत्याशी मंथन में जुट गए हैं। राजनांदगांव विधानसभा में कांग्रेस ने गिरीश देवांगन को अचानक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जैसे कद्दावर नेता के सामने उतारा, उससे पार्टी के स्थानीय दावेदार न सिर्फ हैरत में पड़ गए, बल्कि आम लोगों में भी फैसले को लेकर दबी जुबां तीखी प्रतिक्रिया रही। नतीजतन गिरीश देवांगन को लगभग एकतरफा हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा ने बाहरी प्रत्याशी के तौर पर गिरीश देवांगन को मतदाताओं के समक्ष पेश कर दिया। इसका तोड़ कांग्रेस ढूंढ नहीं पाई। भाजपा ने कांग्रेस की स्थानीय नेताओं की काबिलियत को कमतर आंकने पर अपने पक्ष में माहौल बनाया। आम लोगों ने खुले तौर पर गिरीश देवांगन को प्रत्याशी बनाए जाने के निर्णय को स्थानीय कांग्रेस के दावेदारों के साथ नाइंसाफी के तौर पर देखा।
2018 के चुनाव में भी कांग्रेस ने करूणा शुक्ला को स्थानीय दावेदारों से परे तरजीह दी। रमन को इस चुनाव में थोड़ी मुश्किल जरूर हुई, पर वह जीतने में कामयाब जरूर हो गए। देवांगन ने स्थानीय रिश्तेदारी का हवाला देकर चुनाव प्रचार में अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की, पर वह प्रचार में काम नहीं आया। देवांगन भाजपा की आंधी के सामने हर मोर्चे पर नाकाम रहे।
45 हजार वोटों से बाजी मारकर रमन ने स्थानीय मतदाताओं के मन में अपनी जगह को बरकरार रखा। कांग्रेस के लिए यह चुनाव सबक के तौर पर सामने आया है। उधर भाजपा ने भी दो पूर्व विधायकों को 15 साल के अंतराल में टिकट देकर एक बड़ी चूक की। भाजपा के इस प्रयोग को मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया।
मोहला-मानपुर में पूर्व विधायक संजीव शाह अपनी साख के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाए। उम्मीद की जा रही थी कि शाह अपनी छवि को भुनाने में कामयाब रहेंगे। भाजपा की लहर चलने के बाद भी शाह हार से खुद को बचा नहीं पाए।
उधर डोंगरगढ़ में भी पूर्व विधायक विनोद खांडेकर को बुरी हार का सामना करना पड़ा। पहली बार चुनाव लड़ रही हर्षिता गोस्वामी ने अनुभवी माने जाने वाले खांडेकर को अपने सामने टिकने नहीं दिया। हर्षिता ने 14 हजार के भारी भरकम अंतर से खांडेकर को पराजित किया।
भाजपा के लिए यह प्रयोग फेल साबित हुआ है। दोनों पूर्व विधायक लंबे समय तक आम लोगों के मुद्दों से खुद को अलग-थलग रखे हुए थे। टिकट मिलते ही लोगों ने उनकी निष्क्रियता के परिणाम के तौर पर हार से परिचय कराया।