राजनांदगांव
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पुलिस का दावा-कैम्प खोलने का ग्रामीणों के जरिये नक्सली करवा रहे विरोध
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 20 नवंबर। महाराष्ट्र की गढ़चिरौली पुलिस पर नक्सलगढ़ सूरजागढ़ क्षेत्र में बसे आदिवासियों की झोपड़ी को तोडऩे और बिना वजह आधा दर्जन ग्रामीणों को हिरासत में रखने का आरोप लगा है।
पुलिस पर कथित रूप से गांव में आतंक मचाने के आरोप लगने के बाद यह सफाई दी जा रही है कि एक कैम्प खोलने के विरोध में पूरे मामले के पीछे नक्सलियों का हाथ है। पुलिस ने यह दावा किया है कि जवानों के साथ ग्रामीणों ने हाथापाई की है। इस वजह से कुछ ग्रामीणों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक सूरजागढ़ इलाके में लौह खदानों के खिलाफ काफी समय से एक जनआंदोलन चल रहा है। जिसमें कई सामाजिक कार्यकर्ता भी विरोध में उतर आए हैं। पिछले कुछ दिनों से पुलिस ने ड्रोन कैमरे से कई इलाकों को अपने जद में रखा है। इस मुद्दे को लेकर ग्रामीण भी सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ आंदोलनरत हैं।
दमकोंडावाही बचाओ संघर्ष समिति द्वारा लगातार लौह खदानों को बंद करने की मांग की जा रही है। इस आंदोलन से जुड़े 8 कार्यकर्ताओं को जवानों के साथ हाथापाई करने के आरोप में हिरासत में लिया है।
बताया जा रहा है कि सूरजागढ़ क्षेत्र के तोडग़ट्टा क्षेत्र में आदिवासियों की झोपड़ी को कथित रूप से जवानों ने तोड़ दिया। इसके पीछे आंदोलन को कुचलने का पुलिस पर आरोप लगा है। आदिवासी मूलभूत सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। इस बीच पुलिस ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा से सटे सीमा पर वांगेतरी गांव में एक नया कैम्प खोलने की तैयारी है। इस कैम्प के विरोध में नक्सलियों ने आंदोलन को भडक़ाया है।
गढ़चिरौली पुलिस के पीआरओ शिव पाटिल ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि कैम्प का विरोध करने के लिए ग्रामीणों को नक्सलियों ने आगे बढ़ाया है। नक्सली नहीं चाहते कि नया कैम्प खुले।
पुलिस पर ग्रामीणों को हिरासत में रखने के आरोप में पीआरओ ने कहा कि सुरक्षाबलों पर ग्रामीणों ने हमला किया था। इसकी जांच के लिए कुछ ग्रामीणों को हिरासत में लिया गया है।
इधर, आदिवासी इलाके में पुलिस फोर्स पर झोपडिय़ों को नेस्तनाबूत करने और हिंसा के जरिये आतंक फैलाने का मामले ने तूल पकड़ लिया है। गढ़चिरौली पुलिस और ग्रामीणों के बीच इलाके में टकराव की स्थिति बन गई है।