राजनांदगांव

कांग्रेस में कलह चरम पर, संगठन की नजर में एक भी स्थानीय दावेदार प्रत्याशी के लायक नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 15 अक्टूबर। राजनांदगांव विधानसभा सीट से कांग्रेस दावेदारों की आपसी फूट के चलते आखिरकार बाहरी प्रत्याशी गिरीश देवांगन को फायदा मिल गया। कांग्रेस दावेदारों की आपसी गुटबाजी इस कदर हावी रही कि संगठन ने एक भी स्थानीय दावेदारों को प्रत्याशी के लायक नहीं समझा। पिछले विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के स्थानीय दावेदारों में मतभेद और गुटीय लड़ाई पूरी तरह से हावी रही। ऐसी हालत में एकाएक कांग्रेस नेतृत्व ने करूणा शुक्ला को उम्मीदवार घोषित कर दिया था। आसन्न विधानसभा चुनाव में भी यही हाल रहा। नतीजतन उम्मीदवार बनने के लिए एक-दूसरे को मात देने के होड़ में रहे दावेदारों को संगठन ने तगड़ा झटका देते देवांगन को तवज्जो दी। संगठन ने आपसी सुलह के जरिये उम्मीदवार बनाने का भी प्रस्ताव दिया था।
बताया जा रहा है कि राज्य में सर्वाधिक गुटबाजी राजनंादगांव जिले में है। सभी जगह वर्चस्व की लड़ाई को हवा देकर उम्मीदवार खुद को काबिल बनाने के कोशिश में रहे, लेकिन संगठन ने ऐन वक्त पर स्थानीय दावेदारों को किनारे कर गिरीश देवांगन को प्रत्याशी घोषित कर दिया। कांग्रेस के इस फैसले को लेकर सियासी हल्के में विरोध के सुर भी सुनाई दे रहे हैं।
तगड़े दावेदारों में महापौर हेमा देशमुख, शहर अध्यक्ष कुलबीर छाबड़ा, पूर्व महापौर नरेश डाकलिया, जितेन्द्र मुदलियार और निखिल द्विवेदी का नाम शुमार था। बताया जा रहा है कि आखिरी वक्त में महापौर श्रीमती देशमुख, नरेश डाकलिया, कुलबीर छाबड़ा और जितेन्द्र मुदलियार के नाम पर चर्चा हुई। आपसी रजामंदी के जरिये संगठन ने स्थानीय दावेदारों को टिकट देने की कोशिश की। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली में एक बैठक लेकर सभी दावेदारों को एक नाम सुझाने का आखिरी अवसर दिया। आपस में सामंजस्य नहीं होने के चलते आखिरकार मुख्यमंत्री की पसंद पर गिरीश देवांगन को राजनांदगांव विधानसभा का उम्मीदवार घोषित किया गया।
सत्ता में काबिज कांग्रेस सरकार ने राजनांदगांव जिले में बढ़ते गुटबाजी को रोकने की दिशा में दिलचस्पी नहीं ली। ऐसी हालत में गुटीय लड़ाई राजनीतिक वर्चस्व के रूप में बदल गई। यही कारण है कि कांग्रेस के स्थानीय दावेदारों को अब गैर क्षेत्र से उतारे गए उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करना पड़ेगा। भाजपा के भीतर कांग्रेस उम्मीदवार को लेकर एक अलग उत्साह है। आपसी गुटबाजी में डूबे स्थानीय दावेदारों को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा।