राजनांदगांव

नए जिले खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी के कलेक्टर-एसपी को अब तक नहीं मिला वित्तीय अधिकार
10-Oct-2022 11:46 AM
नए जिले खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी के कलेक्टर-एसपी को अब तक नहीं मिला वित्तीय अधिकार

दोनों नवगठित जिले आर्थिक रूप से अब भी नांदगांव के भरोसे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 10 अक्टूबर।
राजनांदगांव से पृथक हुए खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले को अस्तित्व में आए करीब सवा महीने हो गए हैं। दोनों नवगठित जिला प्रशासनिक कामकाज के लिए वित्तीय अधिकार नहीं मिलने से पैसे की तंगी से जूझ रहे हैं। दो और 3 सितंबर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भव्य रूप से दोनों जिलों के उद्घाटन समारोह में शिरकत की थी, लेकिन प्रशासनिक कार्यों के लिए दोनों जिलों के कलेक्टर और एसपी पदस्थापना के बाद से वित्तीय अधिकार के इंतजार में बैठे हैं। इस वजह से महत्वपूर्ण प्रशासनिक योजनाएं अब तक अधूरी है।

दोनों जिलों की वित्तीय व्यवस्था का जिम्मा राजनांदगांव जिले के कंधे पर है। मामूली से लेकर बड़े कार्यों के लिए राजनांदगांव प्रस्ताव बनाकर भेजने से प्रक्रिया में समय की बर्बादी हो रही है। कागजी कार्रवाई से योजनाओं में हो रही लेटलतीफी का वैकल्पिक हल अब तक भूल नहीं पाए हैं। बताया जा रहा है कि कलेक्टर और एसपी अपने  क्षेत्र की योजनाओं को तय समय पर पैसे के अभाव में  पूरा नहीं कर पा रहे हैं। पुलिस महकमे की तमाम गतिविधियों के संचालन के लिए दोनों जिलों के एसपी को राजनांदगांव की ओर फाईलें भेजनी पड़ रही है। यही हाल कलेक्टरों का भी है। अधिकारियों को डीडी पावर नहीं मिलने से क्षेत्र की मूलभूत योजनाओं के लिए राशि तय समय पर नहीं मिल रही है।

बताया जा रहा है कि अविभाजित राजनंादगांव जिले में दोनों जिलों में कई बड़ी योजनाएं चल रही है।  खैरागढ़ क्षेत्र के अंदरूनी क्षेत्रों में बड़े पुल-पुलिया का निर्माण हो रहा है। वहीं मोहला-मानपुर क्षेत्र में सडक़ों का जाल बिछ रहा है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सडक़ योजना में बन रही सडक़ों का भुगतान राजनांदगांव कोषालय से जारी किया जा रहा है। दोनों जिलों में कोष अधिकारियों की स्थापना नहीं हुई है। एसपी से ज्यादा कलेक्टर को क्षेत्रीय समस्याओं के निराकरण के लिए राशि की जरूरत है, इसलिए प्रशासनिक स्तर पर  पूर्ण किए जाने वाले योजनाएं अब तक मूर्तरूप नहीं ले सकी है। पुलिस महकमे के लिए परेशानी कम नहीं है। दोनों नए जिले नक्सल प्रभावित हैं। एसपी को नक्सल समस्या के निपटारे में पैसे की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। नक्सल खात्मे के लिए सूचनातंत्र की एक बड़ी भूमिका होती है। पैसे के अभाव में पुलिस को सूचना संकलन में समस्याएं खड़ी हो गई है।

मोहला-मानपुर के दूरस्थ इलाकों में प्रशासन की  दखल जरूर बढ़ी है, लेकिन निर्माण कार्यों के लिए  निर्धारित वक्त पर राशि नहीं मिलने से अफसर चिंता में है। सवा माह पुराने दोनों जिले में प्रशासनिक बंटवारे के बाद अफसरों और कर्मचारियों को तैनात किया गया है, लेकिन वेतन अब भी राजनांदगांव कोषालय से जारी किया जा रहा है। इस प्रशासनिक अव्यवस्था से दोनों जिले के एसपी और कलेक्टर आर्थिक नजरिये से दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।

इस संबंध में एमएमसी जिले के कलेक्टर एस. जयवर्धन ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि शासन स्तर से डीडी पावर पर निर्णय लेना विचाराधीन है, लेकिन आर्थिक परेशानी  जैसी कोई बात नहीं है। उधर कलेक्टर-एसपी समेत दोनों जिलों के सैकड़ों कर्मचारियों की तनख्वाह राजनांदगांव कोषालय से ही जारी की जा रही है। नवगठित जिलों के अफसरों को प्रशासनिक अधिकार  भले ही मिल गए हैं, लेकिन आर्थिक अधिकार के लिए  अभी उन्हें इंतजार करना पड़ रहा है।


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