राजनांदगांव

सोयाबीन की बंपर पैदावार पर फल्लीछेदक-गेरूआ रोग का खतरा
20-Sep-2022 1:15 PM
सोयाबीन की बंपर पैदावार पर फल्लीछेदक-गेरूआ रोग का खतरा

लगातार बारिश से बीमारी फैलने के रोकथाम के लिए कृषि अमला जुटा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 20 सितंबर।
इस साल रिकार्डतोड़ बारिश से खरीफ की फसल सोयाबीन की बंपर पैदावार  होने की उम्मीद के बीच बीमारी का भी खतरा मंडरा रहा है। इसके पीछे हाल ही में हुए लगातार बारिश एक वजह है। कृषि अमले की माने तो वर्तमान स्थिति में सोयाबीन की फसलें बेहतर स्थिति में है, लेकिन अत्याधिक बारिश से फसलों पर कीटों का प्रकोप फैलने का अंदेशा बढ़ गया है। जिसके चलते कृषि अमला कीटों से बचाने के लिए मैदानी स्तर पर जुटा हुआ है।

एक जानकारी के मुताबिक राजनांदगांव जिले में 18 हजार 940 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की गई है।  कृषि विभाग का दावा है कि इस साल रिकार्डतोड़ पैदावार होगी, लेकिन पानी की मात्रा अधिक होने से फसलों पर मौसमी बीमारियों का खतरा भी बढ़ा है। जिसमें फल्लीछेदक सर्वाधिक रूप से फसल के लिए नुकसानदायक है। सोयाबीन की फसलों में अब फल्लियां लगने लगी है। इस दौरान फल्लीछेदक कीटाणु हमला कर सकते हैं। यह कीट फल्लियों को छेदकर दानों को खराब कर देता है। इसी तरह गेरूआ रोग भी फफूंद की वजह से फैलता है। पौधों पर इस रोग का प्रभाव फूल खिलने के दौरान होता है।

हालांकि गेरूआ रोग की फैलने की आशंका अब खत्म हो गई, क्योंकि फसलों में अब फल्लियां लगने गी है। इस संबंध में कृषि विभाग के उपसंचालक गोविंद सिंह ध्रुव और सहायक उप संचालक बिरेन्द्र कुमार अनंत ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि सोयाबीन की फसल लगभग  बेहतर स्थिति में है, लेकिन फल्लीछेदक और दूसरी बीमारियों का खतरा बना हुआ है। इसके लिए किसानों को दवाईयां छिडक़ाव करने की सलाह दी जा रही है। जिसमें प्रमुख रूप से फल्लीछेदक कीटों के सफाए के लिए क्लोरापेरीफास, लेम्बडा सायलोहेर्थिन जैसी दवाईयां  कारगर हैं। वहीं गेरूआ रोग के उपचार के लिए हेक्साकोनाजोल या प्रोपिकोनाजोल का छिडक़ाव असरकारक है। कृषि अमले के मुताबिक गर्डिल बीटल तथा पीला मोजेक रोग भी फसलों को पहुंचा सकते हैं। इसके लिए भी विभाग ने किसानों को थायोमिथोक्साम और क्लोरएंट्रानिलिप्रोल तथा इंडोक्साकारब भी उचित  दवाई है।

गौरतलब है कि सोयाबीन फसल धान की फसल  का एक ठोस विकल्प है। इस फसल में पानी की खपत कम है। जिसके चलते सोयाबीन फसल के प्रति  किसानों का आकर्षण बढ़ा है,्र लेकिन पानी की मात्रा अधिक होने से फसलों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इस लिहाज से कृषि विभाग ने कीटों के संभावित प्रकोप के मद्देनजर किसानों को सतर्क किया है।
 


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