राजनांदगांव

युवाओं ने रोज परोपकार करने का लिया संकल्प
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 28 जून। राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि अगर हम पेंसिल बनकर किसी के लिए सुख नहीं लिख सकते तो कम-से-कम रबर बनकर उनके दुख तो मिटा ही सकते हैं। घर में खाना बनाते समय एक मु_ी आटा अतिरिक्त भिगोएं और सुबह पूजा करते समय 10 रुपए दूसरों की मदद के लिए गुल्लक में डालें। एक मु_ी आटे की रोटियां दुकान जाते समय गाय-कुत्तों को डाल दें और नगद राशि को इक_ा होने पर किसी बीमार या अपाहिज की मदद में लगा दें। मात्र नौ महीने में आपके सारे ग्रह-गोचर अनुकूल हो जाएंगे।
संतप्रवर श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ द्वारा सदर बाजार स्थित जैन बगीचा में आयोजित चार दिवसीय जीने की कला प्रवचन माला के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को कैसे कमाएं दुआओं की दौलत विषय पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रास्ते से गुजरते समय मंदिर आने पर आप प्रार्थना में हाथ जोड़ें और अगर कोई एंबुलेंस गुजरती नजर आए तो उसे देखकर उसके लिए ईश्वर से दुआ अवश्य करें। संभव है आपकी दुआ उसे नया जीवन दे दे। अगर आप किसी मजदूर से दिनभर मेहनत करवाते हैं तो उसका पसीना सूखे उससे पहले उसे उसका मेहनताना दे दीजिए। किसी के मेहनताने को दबाना हमारे आते हुए भाग्य के कदमों पर दो कील ठोकना है। विद्यालय भी ईश्वर के ही मंदिर हुआ करते हैं, पर विद्यालय बनाना हर किसी के बूते की बात नहीं होती। आप केवल किसी एक गरीब बच्चे की पढ़ाई का खर्चा उठा लीजिए, आपको विद्यालय बनाने जैसा पुण्य मिल जाएगा।
इस अवसर पर संत प्रवर ने युवा पीढ़ी को प्रतिदिन माता-पिता को प्रणाम करने और प्रभु की प्रार्थना करने की प्रेरणा दी। प्रवचन से प्रभावित होकर सैकड़ों युवाओं ने मंच पर आकर माता-पिता को यादकर प्रणाम किया और प्रतिदिन प्रणाम करने व परोपकार करने का संकल्प लिया।
प्रवचन के दौरान पन्नालाल हर्ष कुमार हेतांश कुमार पिंचा, सुप्रिया पिंचा, बरखा जैन, संजय कुमार, सिद्धार्थ कुमार, श्रेयांश सिंगी परिवार द्वारा सभी श्रद्धालुओं को साहित्य की प्रभावना दी गई। गुरुजनों ने पिंचा एवं सिंगी परिवार को साहित्य पुष्प देकर आशीर्वाद दिया।
कार्यक्रम में सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष नरेश डाकलिया, ट्रस्टी रिद्धकरण कोटडिया, राजेंद्र कोटडिया गोमा, गौतम कोठारी, रोशन गोलछा, डॉ. पुखराज बाफना, डॉ. नरेंद्र गांधी, पुरुषोत्तम ठक्कर, विमल हाजरा, तोरण सिंह चौहान, लक्ष्मीचंद आहूजा, राधा वल्लभ राठी, नरेंद्र लोहिया, भंवरलाल लालवानी, धूलचंद्र दुगढ़, सुभाष लालवानी, संजय चोपड़ा, उम्मेदचंद कोठारी, इंदरचंद कोठारी, ज्ञानचंद बाफना, मूलचंद भंसाली, संतोष लालवानी, ज्ञानचंद कोठारी उपस्थित थे।