रायपुर

पिता के प्यार ने बचाई 6 माह की नन्हीं ताक्षी की जान, मध्यभारत का ऐसा पहला सफल लिवर ट्रांसप्लांट रामकृष्ण केयर में
30-Jul-2021 1:48 PM
 पिता के प्यार ने बचाई 6 माह की नन्हीं ताक्षी की जान, मध्यभारत का ऐसा पहला सफल लिवर ट्रांसप्लांट रामकृष्ण केयर में

आर्थिक दिक्कत से उन्हें लगा कि वे बच्ची को नहीं बचा पाएंगे किन्तु अस्पताल-छग सरकार के सहयोग से यह सफल हुआ। परिवार को कुछ भी खर्च नहीं लगा - डॉ. संदीप दवे

रायपुर, 30 जुलाई। रामकृष्ण केयर अस्पताल के एमडी डॉ. संदीप दवे ने बताया कि जब निराशा के बादल चारों तरफ से घेर लें, तब भी उम्मीद का दामन नहीं छोडऩा चाहिए। उम्मीद की रोशनी अंधियारे को चीरती हुई जि़न्दगी में उजाले ज़रूर लाती है।  कुछ ऐसा ही वाकया हुआ रायपुर के लव सिन्हा और उनकी पत्नी सीमा सिन्हा के साथ जब उन्हें पता चला कि उनकी बच्ची ताक्षी, जिसकी उम्र महज़ 6 माह है, एक ऐसी बीमारी से ग्रसित है जिसे बिलारी अत्रेसिआ कहते हैं।

 डॉ. दवे ने बताया कि यह बीमारी बच्चों में जन्मजात होती है, इसमें पित्त की नालियां ब्लॉक होने की वजह से पीलिया बढ़ता जाता है और लिवर क्षतिग्रस्त होने लगता है। मात्र 4-6 महीने में ही मृत्यु भी हो सकती है। कई अस्पतालों में गए लेकिन कहीं से भी राहत न मिली, बच्ची की हालत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही थी लेकिन पिता ने हार नहीं मानी। बच्ची को लेकर रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल पहुंचे, जहां डॉ. अजीत मिश्रा ने परीक्षण के बाद पाया कि बच्ची को बिलारी अत्रेसिआ नामक लिवर की एक गंभीर बीमारी है।

 डॉ. दवे ने बताया कि डॉ. मिश्रा ने परीक्षण के बाद यह भी पाया कि बच्ची के पास सिर्फ 1 या 2 महीने का ही वक्त है, ऐसे में लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई अन्य उपाय नहीं है। पिता ने तुरंत एक कठिन निर्णय लिया और बच्ची को अपने लिवर का एक हिस्सा देने का फैसला किया। डॉ. मोहम्मद अब्दुन नईम एवं डॉ. अजीत मिश्रा की टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को 8 से 9 घंटों की कड़ी मेहनत के बाद सफलतापूर्वक संपन्न किया। यह ऑपरेशन मध्यभारत का पहला ऐसा ऑपरेशन है जिसमें इतनी कम उम्र की बच्ची का लिवर ट्रांसप्लांट हुआ है। 

डॉ. दवे ने बताया कि यह बीमारी छत्तीसगढ़ एवं आसपास के क्षेत्र में काफी आम बात है लेकिन जागरूकता न होने की वजह से लोग इसे समझ नहीं पाते और न ही सही ढंग से इलाज करा पाते हैं। 

 डॉ. दवे ने बताया कि जो लोग खर्च से डरते हैं, उन्हें ये नहीं पता कि सरकारी योजनाओं  के तहत कम या न्यूनतम खर्च पर भी इलाज संभव है। उन्होंने इस दंपत्ति की भी सराहना की, क्योंकि राज्य में एक 6 माह की बच्ची को बचाने पहली बार कोई दंपत्ति आगे आया, ऐसी भावना और सहस बेटी बचाओं के सिद्धांतों पर खरी उतरती है।  6 माह की नन्हीं ताक्षी अब पूरी तरह स्वस्थ है एवं कुछ ही दिनों में उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जायेगी।  


अन्य पोस्ट