रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 28 नवम्बर। पीसीसीएफ (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यजीव वार्डन अरुण कुमार पाण्डेय की अध्यक्षता में हुई बैठक में वन भैंसा (वाइल्ड बफैलो) के संरक्षण, संख्या वृद्धि, स्थानांतरण तथा वन्यजीव प्रबंधन से पर चर्चा की गई।
डॉ. आर.पी. मिश्रा ने प्रेज़ेंटेशन के माध्यम से वन भैंसा संरक्षण के अब तक हुए कार्यों, वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं का विवरण प्रस्तुत किया।
बैठक में बताया गया कि उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व तथा बारनवापारा अभयारण्य में वन भैंसा संरक्षण व प्रजनन (मेटिंग) के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध है। वर्तमान में बारनवापारा में 1 नर और 5 मादा वन भैंसे मौजूद हैं।
वन भैंसों की वास्तविक संख्या और शुद्ध नस्ल की पहचान के लिए जियो-मैपिंग तकनीक का उपयोग करने की योजना भी प्रस्तुत की गई। साथ ही वन भैंसों के खानपान, रहवास और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को और मजबूत करने के निर्देश दिए गए। बैठक में यह सुनिश्चित किया गया कि वन भैंसों के स्थानांतरण के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्डलाइफ तथा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से आवश्यक अनुमतियाँ शीघ्र प्राप्त की जाएँगी। इसके लिए एक विशेष दल को जल्द ही दिल्ली भेजा जाएगा।
वन भैंसों की चिकित्सा देखभाल हेतु दो पशु चिकित्सकों को पूर्णकालिक रूप से रखने का निर्णय लिया गया ताकि स्थानांतरण एवं संरक्षण के दौरान उनके जीवन एवं स्वास्थ्य को कोई जोखिम न हो। साथ ही सेंट्रल जू अथॉरिटी से अनुमति लेकर जंगल सफारी व अन्य स्थानों पर सैटेलाइट-आधारित निगरानी प्रणाली विकसित करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
इस अवसर पर एपीसीसीएफ (वन्य प्राणी) व्ही. माधेश्वरन, सीसीएफ (वन्य प्राणी) एवं क्षेत्रीय निदेशक उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व सतीविशा समाजदार, डीएफओ बलौदाबाजार धम्मशील गनवीर, उप संचालक इंद्रावती टाइगर रिजर्व संदीप बलगा, वैज्ञानिक डॉ. सम्राट मंडल , डॉ. विवश पांडेव , डॉ. राहुल कौल (वाइल्ड बफैलो प्रोजेक्ट), डॉ. संदीप तिवारी (वाइल्डलाइफ़ कंज़र्वेशन), डॉ. कोमोलिका भट्टाचार्य, डॉ. जी.के. दत्ता और, डॉ. जसमीत सिंह (दोनों कामधेनु विवि), जगदीश प्रसाद दरो, पी.के. चंदन (कानन पेंडारी), डॉ. जय किशोर जडिय़ा (जंगल सफारी), कृषानू चंद्राकर (बारनवापारा) सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
काला हिरण (कृष्ण मृग) संरक्षण पर भी चर्चा
बैठक में राज्य में काला हिरण के संरक्षण और संख्या वृद्धि पर भी चर्चा हुई। बताया गया कि लगभग 50 वर्षों के बाद वर्ष 2018 में बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य में काला हिरण पुनर्स्थापन कार्यक्रम शुरू किया गया था। संरक्षण कार्यों के तहत बाड़ों में रेत व जल निकासी प्रणाली में सुधार,पोषण की निगरानी,समर्पित संरक्षण टीम की तैनाती जैसे कार्य किए गए। इसके परिणामस्वरूप वर्तमान में बारनवापारा में लगभग 190 काले हिरण मौजूद हैं। इस सफलता को देखते हुए अन्य अभयारण्यों में भी काले हिरण को पुनर्स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है।


