रायगढ़

जिंदल कोयला खदान की जनसुनवाई पर बवाल
09-Dec-2025 8:53 PM
जिंदल कोयला खदान की जनसुनवाई पर बवाल

ग्रामीणों ने प्रशासन पर लगाया चोरी-छिपे प्रक्रिया पूरी करने का आरोप

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायगढ़, 9 दिसंबर। रायगढ़ जिले की लैलूंगा विधानसभा के तमनार विकासखंड में जिंदल पावर लिमिटेड की गारे-पेलमा सेक्टर-1 कोयला खदान के लिए प्रस्तावित जनसुनवाई को लेकर शनिवार को धौराभंाठा क्षेत्र में बड़ा विवाद खड़ा हो गया। एक ओर जहां ग्रामीण पिछले चार दिनों से निर्धारित मैदान में धरना देकर जनसुनवाई का विरोध कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन ने अचानक जनसुनवाई स्थल बदलकर गुप्त रूप से कुछ ही मिनटों में प्रक्रिया पूरी कर दी। इस घटनाक्रम से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है और आगामी दिनों में बड़ा आंदोलन का रूख अतिख्यार कर सकते हैं। 

तमनार क्षेत्र के धौराभांठा बाजार में जन सुनवाई आयोजित की जानी थी, लेकिन शनिवार की सुबह प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना के स्थल बदल दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के दूसरे छोर पर सीमित अधिकारियों और कंपनी समर्थकों की मौजूदगी में जनसुनवाई शुरू कर दी गई। पुलिस ने विरोध कर रहे ग्रामीणों को नए स्थल तक पहुंचने नहीं दिया, जिससे वे अपनी आपत्तियाँ औपचारिक रूप से दर्ज भी नहीं करा सके।

गांव वालों के अनुसार, गुप्त स्थान पर आयोजित जनसुनवाई कुछ ही मिनटों में निपटा दी गई। समर्थन जताने वाले चुनिंदा लोगों के बीच वीडियो रिकॉर्ड कर प्रशासन ने जनसुनवाई पूरी होने की घोषणा कर दी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल है, जिसके बाद ग्रामीणों का गुस्सा और बढ़ गया है।

जिंदल की प्रस्तावित कोयला खदान परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध लगातार तेज हो रहा है। पिछले चार दिनों से 14 गांव के ग्रामीण भारी संख्या में महिलाओं सहित धौराभांठा मैदान में धरना दे रहे हैं। इस दौरान महिलाओं ने मैदान के चारों ओर मानव श्रृंखला बनाकर विरोध जताया। ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन ने विरोध स्थल पर जनसुनवाई के लिए बनाए जाने वाले टेंट तक की अनुमति नहीं दी, जिसके कारण उन्हें खुले मैदान में ही तीन रातें बितानी पड़ी।

जिंदल कंपनी के खिलाफ आंदोल कर रहे ग्रामीणों ने बताया कि  बार-बार प्रशासन को सूचना दी कि वे पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को लेकर अपनी आपत्ति औपचारिक रूप से दर्ज कराना चाहते हैं, लेकिन उनकी बात सुने बिना प्रक्रिया को चोरी-छिपे पूरा कर दिया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि यह संपूर्ण कार्रवाई जनभावनाओं की अवहेलना करते हुए कंपनी के हित में की गई।


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