रायगढ़

अतरमुड़ा की 2.46 एकड़ जमीन नजूल भूमि के रूप में दर्ज करने का आदेश
09-Dec-2025 5:35 PM
अतरमुड़ा की 2.46 एकड़ जमीन  नजूल भूमि के रूप में दर्ज करने का आदेश

राजेन्द्र सिंह का कब्जा बेदखल, एसडीओ राजस्व का आदेश 
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 9 दिसंबर।
अनुविभागीय अधिकारी राजस्व रायगढ़ ने ग्राम अतरमुड़ा स्थित 2.46 एकड़ जमीन पूर्ववत शासकीय नजूल भूमि के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज करने का आदेश दिया है। यह आदेश4 दिसंबर को खुले न्यायालय में दिया गया। 

इस जमीन को एक परिवार ने राजस्व अमले से सांठगांठ कर अवैध रूप से अपने नाम दर्ज किया था। इसके लिए गलत प्रतिवेदन पर अवैध रूप से शासकीय भूमि बेच दी गई थी। 

इस मामले में 6 पेज के पारित आदेश में कहा गया है कि इस प्रकरण में संलग्न दस्तावेजो के अवलोकन एवं प्रकरण के परिशीलन से यह निष्कर्ष निकलता है कि  अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत कर लेख किया गया कि उसके पूर्वज राजेन्द्र सिंह बल्द चिरकूट सिंह के नाम पर ग्राम छोटे अतरमुड़ा तहसील व जिला रायगढ़ में भूमि खसरा नंबर 3. रकबा 2.46 एकड स्थित है। भूमिस्वामी की मृत्यु हो चुकी है तथा उत्तरवादी मृतक भूमिस्वामी का एकमात्र विधिक वारिस है। वादग्रस्त भूमि को शासकीय दर्ज कर दिये जाने के कारण उसके द्वारा  द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-2 रायगढ़ के न्यायालय ने सिविल वाद क्रमांक 673/2002 प्रस्तुत किया गया था, जिसमे, पारित निर्णय अनुसार घोषित किया गया कि वादग्रस्त भूमि का स्वामी एवं स्वत्वाधिकारी उत्तस्वादी क्रमांक 1 है तथा उक्त भूमि जो नजूल सरकार दर्ज किया गया है, वह प्रविष्टि अवैधानिक है कथन कर वादग्रस्त भूमि के राजस्व अभिलेखों में स्वयं का नाम दर्ज किये जाने बाबत निवेदन करने पर अधीनस्थ न्यायालय द्वारा दैनिक समाचार पत्र मे ईश्तहार का प्रकाशन कर आवेदक से साक्ष्य एवं हल्का पटवारी से जांच प्रतिवेदन प्राप्त करने उपरांत वादग्रस्त भूमि के राजस्व अभिलेखों में राजेंद्र सिंह का नाम दर्ज करने का आदेश पारित कर विधि विरुद्ध कार्यवाही की गई है।

इस प्रकरण में अधीनस्थ न्यायालय द्वारा इस ओर ध्यान न देकर विधिक भूल की गई है कि  प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1 रायगढ़ के द्वितीय अतिरिक्त न्यायाधीश रायगढ़ (छ.ग.) के व्यवहार वाद प्रकरण क्रमांक 6731/2002 संस्थित  31/03/1999 सी. एन.आर.नंबर सी.जी. आर.जी. 020000702002, पक्षकार बहादुर सिंह विरुद्ध छत्तीसगढ शासन एवं अन्य 09 में पारित निर्णय  25/09/2023 अनुसार वादी बहादुर सिंह पिता जगमोहन सिंह द्वारा ग्राम छोटे अतरमुड़ा स्थित वादग्रस्त भूमि के याद घोषण एवं शाश्वत निषेधाज्ञा हेतु प्रस्तुत वाद भारतीय परिसीमा अधिनियन के अंतर्गत अवधारित समय में प्रस्तुत करने पर असफल रहने के उनका वाद खारिज किया गया है। तथा वादी को वादभूमि का भूमिस्वामी घोषित नहीं किया गया है। उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ बिलासपुर के समक्ष प्रस्तुत सिविल रिविजन क्रमांक 49/2021 में पारित आदेश  26/04/2024 के अनुसार भी.सिविल न्यायालय के उपरोक्त निर्णय  25/09/2023 के विरुद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही कर अनुतोष प्राप्त करने बाबत निर्देशित किया गया है। अपीलार्थियों द्वारा अपने लिखित तर्क के साथ निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत किये है, जिनके समग्र अवलोकन से यह प्रमाणित होता है कि भूमि ग्राम छोटे अतरमुडा स्थित विवादग्रस्त खसरा नम्बर 3 स्कवा 2.46 एकड वास्तव में शासकीय नजूल भूमि ही है। अपीलार्थियों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजो का विवरण निम्नानुसार है-1. डिप्टी कमिश्नर लेण्ड रिफार्म रायगढ मध्य प्रदेश के सभदा 01.04.1951 को संचालित हुई कार्यवाही के समस्त आदेश पत्रक तया स्टेटमेन्ट ऑफ फिक्रोस एसेसमेन्ट ऑन दि होम पत्रर्म में पारित आदेश की प्रमाणित प्रति जो प्रकरण कमाक- 281/51 भेजर हेड 1ए/1951-52 के रूप में दर्ज है। न्यायालय डिप्टी कमिश्नर लेण्ड रिफार्म रायगढ के प्रकरण कमाक- 1388/51 के वर्ष जून 1951 से लेकर  25/04/1952 तक के समस्त आदेश पत्रों की प्रमाणित प्रतिलिपियां।ए.डी.सी रायगढ़ के समक्ष चले प्रकरण कमांक 4/1955-56 के समस्त आदेश पत्रो (दिनांक 30.10.1955 लेकर 04.11.1955 तक) की प्रतिलिपियों तथा सरकार के कब्जे में (मध्य प्रदेश) स्वामित्वाधिकारो व मालिकाना हकों के अन्त करने के अधिनियम 1950 के साथ संलग्न नमूना अ एवं नमूना ग (जिसमे की. ग्राम छोटे अतरमुड़ा की उल्लेखित अन्य भूमियों के साथ-साथ प्रश्नाधीन भूमि खसरा नम्बर 3 रकवा 2.46 का भी उल्लेख है) की प्रतियाँ।

उपरोक्त समस्त दस्तावेजों के समय अवलोकन से यह परिलक्षित होता है किं ग्राम छोटे अतरमुडा स्थित प्रश्नाधीन भूमि खसरा नंबर 3 स्कवा 2.46 एकड विधिपूर्वक राजस्व प्रकरण के माध्यम से संपादित दुई विधिक कार्यवाही के फलस्वरूप शासकीय नजूल भूमि के रूप में शासन के द्वारा दर्ज की गई थी। उक्त भूमि से संबंधित प्रकरण के आदेश पत्रकों पर बहादुर सिंह के पिता जगमोहन सिंह के भी हस्ताक्षर है, जिससे यह सुस्पष्ट रूप से विदित होता है कि प्रश्नाधीन भूमि खसरा नंबर 3 रकबा 2.46 एकड को बहादुर सिंह के पिता जगमोहन सिंह की जानकारी एवं उनकी उपस्थिति में नजूल भूमि के रूप में राजस्व अभिलेखों में दर्ज किये जाने की कार्यवाही की गई थी। बावजूद इसके उनके द्वारा एक लंबी अवधि पश्चात भी उपरोक्त आदेश को किसी सक्षम न्यायालय में चुनौती नहीं दी गई। 

 

व्यवहार न्यायालय द्वारा भी राजेन्द्र सिंह 1 के द्वारा प्रस्तुत दावा को भारतीय परिसीमा अधिनियम के अंतर्गत अवधारित समय ने प्रस्तुत करने में असफल रहने के कारण अपने निर्णय  25/09/2023 के तहत खारिज कर दिया गया। वादग्रस्त भूमि वर्ष 1951 से शासकीय नजूल भूमि के रूप में निरंतर एवं अविवादित रूप से शासन के हक दर्ज रही है। अधीनस्थ न्यायालय द्वारा उपरोक्त तथ्यों को ध्यान मे दिए बिना एवं वादग्रस्त भूमि के संबंध में सुसंगत दस्तावेजों को आहूत कर उनका सूक्ष्मता से परिशीलन किये बिना शासकीय भूमि का नामांतरण उत्तरवादी क्रमांक के पक्ष में किया गया है जिससे न केवल शासन को क्षति कारित हुई है अपितु लोकहित के कार्य भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए है। अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अपीलाधीन प्रकरण में इन तथ्यों को अनदेखा कर विधिक भूल किया गया है, इसलिये अधीनस्थ न्यायालय द्वारा पारित उपरोक्त आदेश दिनांक 14/06/2022 स्थिर रखे जाने योग्य न होकर निरस्त किये जाने योग्य प्रतीत होता है।

इस, विवेचना के आधार पर अधीनस्थ न्यायालय के राजस्व प्रकरण क्रमांक प्रकिया के प्रतिकूल होने से निरस्त किया जाता है तथा अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील स्वीकार किया जाता है ग्राम छोटे अतरमुडा प.ह.नं. 49 तहसील व जिला रायगढ स्थित भूमि खसरा नबर 3 कुल रकबा 2.46 एकड के राजस्व अभिलेखों मे पूर्ववत शासकीय नजूल भूमि के रूप में दर्ज किये जाने का आदेश पारित किया जाता है।


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