रायगढ़

जिला उपभोक्ता आयोग का फैसला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 4 मई। बीमा अवधि में बीमित वाहन क्षतिग्रस्त होने के बाद बीमा क्लेम का भुगतान करने में आनाकानी करने के मामले में उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने द ओरिएण्टल इश्योरेंस कंपनी रायगढ़ को डेढ़ लाख का बीमा क्षति भुगतान करने तथा मानसिक क्षति व वाद व्यय के रूप में 7 हजार रूपये का भुगतान करने का आदेश पारित किया है।
आवेदक सिद्धार्थ अनंत निवासी राजीव गांधी नगर जैतखंब भजन डीपा के द्वारा अनावेदक बीमा कंपनी द ओरिएण्टल इश्योरेंस कंपनी लिमिटेड शाखा रायगढ़ से अपने स्वामित्व की वाहन कार विटारा ब्रेजा व्हीडीआई क्रमांक सीजी 13 एबी 5967 का बीमा 12 हजार 702 अदा कर कराया। पॉलिसी अवधि 27 जून 2022 से 26 जून 2023 तक है। आवेदक का उक्त वाहन 15 दिसंबर 2022 को थाना परिसर बरमकेला में खड़ी थी जहां एक उग्र भीड़ के द्वारा उक्त वाहन में तोडफ़ोड़ कर कार को पलटा दिया जिसके कारण वाहन में अत्याधिक क्षति हुई।
उक्त घटना के संबंध में लिखित शिकायत बरमकेला थाने में दिया गया तथा वाहन में आये क्षति के संबंध में अनावेदक बीमा कंपनी को सूचित किया गया। जिस पर अनावेदक बीमा कंपनी के द्वारा अपने सर्वेयर से क्षति का आकलन करवाया गया। आवेदक द्वारा दुर्घटनाग्रस्त वाहन को मरम्मत हेतु मारूति सत्या ऑटो मोबाईल लिमिटेड रायगढ़ में दिया गया जहां मरम्मत में 1 लाख 94 हजार का व्यय हुआ। जिसके भुगतान हेतु अनावेदक बीमा कंपनी के समक्ष क्लेम किया परंतु बीमा कंपनी के द्वारा उक्त क्लेम का भुगतान नही कर टाल मटोल किया जाने लगा। जबकि उक्त वाहन बीमा कंपनी से बीमाकृत था और बीमा अवधि में ही वह क्षतिग्रस्त हुआ है।
इस मामले में बीमा कंपनी के द्वारा बीमा क्लेम का भुगतान करने से आनाकानी करने पर पीडि़त के द्वारा उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग रायगढ़ में अधिवक्ता के माध्यम से परिवार दायर किया गया। इस मामले में आयोग के अध्यक्ष छमेश्वर लाल पटेल व सदस्य द्वय राजेन्द्र कुमार पाण्डेय एवं राजश्री अग्रवाल की ओर से दोनों पक्षों की सुनवाई पश्चात इस मामले में बीमा कंपनी को सेवा में कमी का आंशिक दोषी मानते हुए बीमा कंपनी को आवेदक को 45 दिवस के भीतर बीमा क्षति के रूप में 1 लाख 50 हजार 978 रूपये मानसिक क्षति के रूप में 5 हजार रूपये तथा वाद व्यय के रूप में 2 हजार रूपये का भुगतान करने का आदेश जारी किया है। निर्णय में 45 दिवस के भीतर उक्त भुगतान न करने पर 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देय होने का प्रावधान किया गया है। इस मामले में परिवादी की ओर से अधिवक्ता एमएस रथ ने पैरवी की।