रायगढ़
नरेश शर्मा
रायगढ़, 30 मार्च (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता )। रायगढ़ जिले में शनिवार तडक़े अपने दल से भटककर गड्ढे में गिरे हाथी शावक को हाथी मित्र दल और वन विभाग की टीम ने बड़े से सूझबूझ तरीके से न केवल सफल रेस्क्यू किया, बल्कि उसे अपने दल से मिलाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नन्हा मादा हाथी शावक अब अपने दल से मिल चुका है। यह पूरा मामला धरमजयगढ़ वन मंडल के बाकारूमा रेंज का है।
मिली जानकारी के मुताबिक धरमजयगढ़ वन मंडल के अंतर्गत आने वाले बाकारुमा वन परिक्षेत्र के जमाबिरा बीट के कक्ष क्रमांक 153 आरएफ में विचरण कर रहे हाथियों के दल में से एक मादा शावक हाथी जिसकी उम्र लगभग एक वर्ष थी, वह शनिवार के तडक़े स्थानीय बौरा खोल नाला के एक पोखर में चट्टानों के बीच फंस गया था।
लमडांड बस्ती के लोगों हाथी मित्र दल के सदस्यों को बताया कि देर रात जंगल से हाथियों के चिंघाडऩे की आवाज आ रही थी जिसे सुनकर सभी लोग अपने घरों में दुबक गए थे।
हाथी ट्रैकरो के मुताबिक 25 हाथियों का दल रात में इस क्षेत्र में रुका हुआ था। गड्ढे में गिरे शावक को निकालने दल के हाथियों द्वारा बहुत कोशिश की गई, लेकिन नन्ही मादा हाथी को सुरक्षित नहीं निकाल पाए तो उसे छोडक़र उनका दल आगे कानाकुला जंगल की ओर बढ़ गया।
चट्टान काटकर निकालने का किया प्रयास
शनिवार सुबह गांव के ग्रामीणों की सूचना पर मौके पर पहुंचे ट्रैकर दिलीप राठिया द्वारा ने हाथी शावक को देखा गया और तत्काल फील्ड स्टाफ रामसिंह राठिया, परिसर रक्षक, सोखामुड़ा को सूचना दिया। जिसके बाद वन परिक्षेत्र अधिकारी, परिक्षेत्र सहायक और बीट गार्ड्स तत्काल मौके पर पहुंचे। लगभग एक घंटे तक अथक प्रयासों के बाद चट्टान में स्टेप्स काटकर और मादा हाथी को बल्ली का सपोर्ट देकर बाहर सुरक्षित निकाला गया।
बस्ती तरफ जाने लगी हाथी
गड्ढे में गिरी शावक हाथी बहुत व्याकुल थी और चिंघाड़ रही थी। स्थानीय ट्रैकर और फील्ड स्टाफ द्वारा मादा हाथी को सहज महसूस करवाया गया और पीने के लिए पानी और खाने में केला दिया गया और उसके दल की तरफ ले जाने का प्रयास किया गया। परन्तु व्याकुल हाथी विपरीत दिशा में लमडांड़ बस्ती की तरफ जाने का प्रयास करने लगी। जिसे ट्रैकर्स और फील्डस्टाफ द्वारा जंगल की तरफ ले जाने का प्रयास किया गया। लगभग आधा किलोमीटर चलने के बाद पुन: वह आबादी क्षेत्र की तरफ जाने लगी।
बस्ती तरफ चली जाती, तो होती परेशानी
फील्ड स्टॉफ ने मादा हाथी शावक को घेरकर रोकने का प्रयास किया गया। क्योंकि यदि वह बस्ती की तरफ चली जाती है तो बहुत भीड़ जमा हो सकती है जिससे मादा हाथी को उसके दल से मिलाने में बहुत कठिनाई हो सकती थी। इस समय तक डीएफओ धरमजयगढ़, एसडीओ लैलूंगा और एसडीओ धरमजयगढ़ भी मौके पर पहुंच चुके थे। मौका परिस्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि हाथी को रस्सी की सहायता से यू शेप में घेरा कर रोका जाए और नन्ही हाथी की सुविधानुसार उसे दल की तरफ सुनियोजित प्रयास करके ले जाया जाए।
15-20 लोगों की टीम रही तैनात
लगभग 15-20 लोगों जैसे स्थानीय ट्रैकर्स, हाथी मित्र दल, स्थानीय स्टाफ और अधिकारियों ने हाथी को रस्सी से कार्डोनिंग ऑफ कर दल की तरफ ले जाने के लिए कतार बनाई। हाथियों के दल की यहां से लगभग 5-6 किलोमीटर दूर कानाकुला के जंगल में विचरण करने की सूचना दल के ट्रैकर्स द्वारा मिली थी।
यू शेप में घेरा बनाकर ले जाया गया
मादा शावक हाथी को उसके दल से मिलाने के लिए लगभग 6 किलोमीटर तक सभी फील्ड स्टाफ द्वारा हाथी के साथ साथ जंगल ट्रैक करने की योजना बनाई गई। दो ट्रैकर्स द्वारा दल के पदचिन्ह, विष्ठा और टूटी टहनियों पत्तियों को ध्यान में रखते हुए सभी का मार्गदर्शन किया गया। शेष सभी लोगों द्वारा हाथी को रस्सी की सहायता से एक लाइन में दल की तरफ ले जाने हेतु यू शेप में कतार बना ली ताकि चंचल हाथी कहीं जंगल में विपरित दिशा में नहीं भाग जाए।
एक ट्रैकर्स के पसली में आई चोट
गर्मी और तेज धूप में हाथी को डीहाइड्रेशन नहीं हो, उसके लिए नियमित अंतराल पर पानी और गुड़ मिला पानी भी पिलाया गया। रास्ते में कहीं कहीं छायादार वृक्ष के नीचे थोड़ा आराम भी दिया गया। कभी कभी तो चंचल व्याकुल हाथी द्वारा भागने का प्रयास भी किया गया जिसे फील्ड स्टॉफ, ट्रैकर्स ने नाकाम किया। इस दौरान एक ट्रैकर गिर भी गया और पसली में चोट भी आई।
और इस तरह मिली अपनी दल से
तालाब के किनारे किनारे चलते हुए आगे पहाड़ी की तरफ नन्ही मादा हाथी पूरी हिम्मत से बढऩे लगी। वह बहुत समझदार थी अपने दल की छोड़ी गई विष्ठा को सूंघते हुए आगे बढ़ी। मादा शावक का उत्साह देखकर सभी को यकीन हो गया था कि हम सही दिशा में जा रही है। लगभग 500 मीटर चलने के पश्चात 391 आरएफ ओंगना बीट में पहाड़ी की तलहटी में आगे चल रहे ट्रैकर्स द्वारा आवाज देकर सभी को अलर्ट किया गया। तभी घने जंगल में से हाथियों के चिंगाडने की आवाज आने पर एहसास हो गया कि मौके पर उसका दल मौजूद है।
मादा हाथी शावक की चिंघाड़ सुनकर दल के अन्य हाथियों ने भी उत्तर में जवाब दिया। इस दौरान सभी लोगों ने मादा हाथी को अकेला छोड़ दिया और इस बीच मादा हाथी कुछ स्टाफ के पिछे भी भागी मानो शुक्रिया अदा करना चाहती हो।
दल से मिलाना था चैलेंज
इस संबंध में धरमजयगढ़ वन मंडल के डीएफओ अभिषेक जोगावत ने बताया कि आज सुबह 8 बजे सूचना मिली कि बाकारूमा रेंज के जमाबिरा बीट में एक छोटा मादा हाथी गड्ढे में गिर गया है। वह इस तरह से फंसा था कि अपने से निकल नही पा रहा था। इस दौरान नाले में रेस्क्यू अभियान चलाकर उसे बाहर निकाला गया। लेकिन वन विभाग के लिये चैलेंज था कि हाथियों का उसे निकाल नही सके तो उसे छोडकर 6 से 7 किलोमीटर आगे बढ़ चुके थे। हाथी शावक रेस्क्यू के बाद बस्ती की तरफ जाने की कोशिश कर रहा था। इस दौरान मौके पर मौजूद वन विभाग ने टीम ने उसे जंगल में ले जाने का प्रयास किया।
सूझबूझ का दिया गया परिचय
डीएफओ अभिषेक जोगावत ने बताया कि अगर वह बस्ती की तरफ चला जाता तो वहां लोगों की भारी भीड़ जुट जाती। इसे देखते हुए सभी ने मिलकर जिस तरफ उसका दल था ड्रोन कैमरे के जरिये उसे देखते हुए रस्सी से घेरा बनाकर उसे उस ओर ले जाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि कई बार ऐसा होता था कि बिछडे हुए हाथी पर अगर इंसान का टच हो जाता है तो उसे वो अपने दल में नही लेते इसलिये सूझबुझ से काम करते हुए हाथियों के ग्रुप में से किसी का विष्ठा का लेप कर दिया था इस वजह से हाथियों ने दल ने शावक को अपने दल में ले लिया।
धरमजयगढ़ वन मंडल में 133 हाथी
धरमजयगढ़ वन मंडल के डीएफओ अभिषेक जोगावत ने बताया कि वर्तमान दिनों में धरमजयगढ़ वन मंडल के जंगलों में 133 हाथियों का दल विचरण कर रहा हैं जिसमें हाथियों का 16 दल है और इस दल में कुल 26 हाथी शावक शामिल है। हाथी मित्र दल के अलावा वन विभाग की टीम हाथियों के हर मूवमेंट पर नजर बनाये हुए है। साथ ही साथ हाथी प्रभावित गांव के ग्रामीणों को जंगल में हाथी विचरण की जानकारी देकर जंगल नही जाने की अपील भी की जा जाती है।