रायगढ़

आज के दौर में थियेटर करना किसी चुनौती से कम नहीं- हरिओम
03-Jan-2024 9:56 PM
आज के दौर में थियेटर करना किसी चुनौती से कम नहीं- हरिओम

मध्यप्रदेश इप्टा के अध्यक्ष की प्रेस वार्ता

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायगढ़, 3 जनवरी। देश में इस समय थियेटर करना एक चुनौती है जिसके कारण कलाकारों का कर्तव्य और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उक्त बातें मध्यप्रदेश इप्टा के अध्यक्ष हरिओम राजौरिया ने कल पत्रकारों से एक चर्चा के दौरान कहीं। हरिओम राजौरिया रायगढ़ में आयोजित 28 वें राष्ट्रीय नाट्य समारोह में शामिल होने के लिए पहुँचे हैं। इसके पूर्व उन्हें 13 वें शरदचन्द्र वैरागकर रंगकर्मी सम्मान से भी सम्मानित किया गया।

इस दौरान आयोजित की गई प्रेस वार्ता के दौरान मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आज के इस तकनीकी युग में युवाओ को साथ लेकर अनुभवी लोगों को तालमेल बनाकर चलना होगा। इप्टा प्रेम के संदर्भ में व्यापक व्याख्या करता है। कवि के लिये निडरता पहली जरूरत है। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी तक कबीर की बातों को पहुंचाना होगा। इप्टा का भी यही उद्देश्य है। आज के दौर में चुनौतियां लगातार बढ़ रही है और कलाकार तथा कला जगत की आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। दरअसल इप्टा या कला जगत किसी को भी सामाजिक प्राणी बनाने की ओर प्रयास करता है जब हम दूसरों से जुड़ते हैं तो यही करूणा कला के रूप में प्रदर्शित होती है। मगर वर्तमान दौर में युवा वर्ग को इस कला से जोडऩा होगा। तभी दलितों शोषितों और वंचितों की आवाज को तकनीक के माध्यम से आम आदमी तक पहुंचाया जा सकता है।

श्री राजौरिया ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि कला दो प्रकार की हुआ करती है एक कला के लिए तो दूसरा लोगों के लिए उंन्होने कहा कि कला प्रतिपक्ष की भूमिका भी निभाती है और इसके माध्यम से वह सच्चाई को दिखाती है तथा समाज की असलियत को भी सामने लाती है।

ढाई आखर प्रेम को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में हरिओम राजौरिया ने कहा कि ढाई आखर प्रेम ,कबीर की वाणी है और कबीर की वाणी आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितना कि वह कबीर के दौर में थी।


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