रायगढ़

चंद घंटों की बारिश ने निगम प्रशासन की खोली पोल
26-Jun-2023 8:08 PM
चंद घंटों की बारिश ने निगम प्रशासन की खोली पोल

सडक़ों पर बह रही नालियों के गंदे पानी में चलने को मजबूर 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायगढ़, 26 जून। छातामुड़ा चौक से काशीराम चौक के मध्य तिरुपति धर्मकांटा के बाजू में कॉलोनी का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें बरसाती पानी के निकासी का प्राकृतिक माध्यम नाला को पूरी तरह से पाटकर नाले का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया है। नाला पाटने की वजह से गांधीनगर भाग-2 जाने वाला मार्ग पानी में डूब गया है। बरसाती नाले को प्रभावित करने वाले की मोहल्ले वासियों की शिकायत और खबर को नगर निगम ने संज्ञान लेकर एक दिन पहले ही नाला पाटने पर कोलनाइजर्स सहित तीन लोगो को नोटिस जारी किया है। जबकि उक्त मामला तहसील पुसौर और अनुविभागीय कार्यालय में प्रकरण दर्ज है बावजूद मामले में निराकरण हुए बिना रसूखदारों की मनमानी चरम सीमा पर है।

जानिए क्या पूरा मामला

निगम प्रशासन द्वारा पूर्व में मेजर्स एलायंस डेवलपर्स भागीदार राकेश अग्रवाल, आनंद बंसल पार्क सिटी कॉलोनाइजर छातामुड़ा को खसरा क्रमांक 109 एवं अन्य खसरा कुल रकबा 1.936 हेक्टेयर भूमि में कॉलोनी विकास की अनुमति दी गई थी, जिसमें कॉलोनाइजर द्वारा अपशिष्ट प्रबंधन के तहत कॉलोनी में नाली का निर्माण एवं ढलान स्वयं के स्वामित्व के भूमि खसरा क्रमांक 112 एवं 189 - 2 में प्रावधानित किया गया है। यहां उक्त भूमि पर कॉलोनी का अपशिष्ट व जल वर्षा जल में प्रवाहित होता है, लेकिन वर्तमान में उक्त भूमि में मिट्टी भर दिया गया है, जिसके कारण वर्ष के जल पानी निकासी में बाधित होगी। इसी तरह सजन अग्रवाल पिता बनारसीदास लाल टंकी रोड द्वारा खसरा क्रमांक 196 - 4 प्राकृतिक नाला को बाधित कर बाउंड्रीवॉल निर्माण एवं प्राकृतिक नाला में मिट्टी भराव किया गया है। इससे प्राकृतिक नाला बाधित हो गई है और पानी निकासी की समस्या के साथ बरसात के दिनों में जल भराव की स्थिति निर्मित होने की आशंका है। इधर राजकुमार सिंघल शिव कुमार सिंघल जूटमिल द्वारा छातामुड़ामूल खसरा क्रमण 113 -5 में बिना अनुमति के मिट्टी भराव किया गया है। इससे प्राकृतिक ढलान प्रभावित हुआ है।

ज्ञात हो कि वर्ष 2020 में चंद घंटों की मूसलाधार बारिश में काशीराम नगर, विनोबा नगर, नवापारा, गांधीनगर भाग- 1 व भाग 2 सहित आसपास की कॉलोनी और निचली बस्तियां पूरी तरह जलमग्न हो गई थी। हाईवे पर करीब 6 फीट पानी जमा हो गया था और खाली होने में काफी समय भी लगा था, जिसकी मुख्य वजह बरसाती पानी के निकासी का माध्यम नाले को पाटे जाने से ऐसी स्थिति निर्मित हुई थी। उस समय हाईवे किसी नदी जैसा दिख रहा था। जबकि हाईवे निचली बस्तियों से करीब 30 से 35 फीट ऊंचा है। जब हाईवे पर 6 फीट पानी तो निचली बस्तियों की स्थिति का आप स्वयं अंदाज लगा लें। रहने वाले बहुत से गरीब लोगों का बहुत नुकसान और परेशानी का सामना करना पड़ा था। जिसमे लगभग 40 से 50 परिवार प्रभावित हुए थे और लगभग 36 घंटे तक काशीराम चौक स्थित सामुदायिक भवन में प्रभावितों को शरण लेना पड़ा था। मोहल्ले में पानी घुसने की वजह से काफी मकान प्रभावित हुए जिसमें कई मकान टूटकर पूरी तरह धराशाई हो गया था। हालांकि तत्कालीन समय में शासन प्रशासन तत्काल मामले को संज्ञान में लेकर प्रभावितों की राहत हेतु रात तक जुटे रहे तथा सभी प्रभावितों के खाने पीने की व्यवस्था सामूहिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में की गई थी। राहत कार्य में नगर निगम के तेजतर्रार आयुक्त आशुतोष पाण्डे की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।

वर्तमान में बीते दिनों मोहल्लेवासियों द्वारा नगर निगम एवं पुसौर तहसील में नाला पाटने की शिकायत के बावजूद कॉलोनी निर्माता द्वारा मिट्टी पाटे जाने से चिंतित मोहल्ले वासियों के द्वारा काम रोककर मौके पर उपस्थित सुपरवाजर को जमकर खरी खोटी सुनाई थी जिसमें मोहल्ले वासियों की बढ़ती भीड़ और आक्रोश को देखते हुए मार खाने के डर से सुपरवाइजर भाग खड़ा हुआ था। नाला पाटने का मामला अखबारों में सुर्खियों पर रहा, जिसके बाद पुसौर तहसीलदार के आदेश पर हल्का पटवारी और आर.आई. मौके पर पहुंचे थे। राजस्व विभाग के द्वारा राइस मील और कॉलोनी संचालक के बीच पंचनामा बनाकर एक आपसी सहमति पत्र जारी किया गया, जिसमें पानी निकासी के लिए केवल टी निर्माण करने तथा वैकल्पित जल निकासी के स्थान को यथावत रहने की आपसी सहमति बनी किंतु टी निर्माण के साथ साथ नाला व वैकल्पिक पानी निकासी मार्ग को भी मिट्टी पाटकर ढलान अवरुद्ध कर दिया गया है। 

बहरहाल चंद घंटों की पहली ही बारिश ने नगर निगम के नदी , नाले, नालियों की साफ सफाई व्यवस्था की पूरी तरह से पोल खोल कर रख दी है। शहर के बहुत से स्थानों मे पहली बारिश मे ही पानी भर गया। निचली बस्तियों में रहने वाले लोग काफी चिंतित और परेशान हैं। नाली, नाले, सडक़ें और गलियां गंदे पानी से सरोबर हो गये हैं। एक ओर निगम की उदासीनता और दूसरी ओर शहर के कई नालों को पाटकर अस्तित्व समाप्त होने से जनजीवन काफी प्रभावित हो रहा है। शासन प्रशासन को संज्ञान में लेकर तत्काल पानी निकासी के माध्यम नाला पार्टनर और कब्जा करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करते हुए पुन: शहर के सभी नालों के अस्तित्व को पुनर्जीवित करना चाहिए। 


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