मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 21 जनवरी। एसईसीएल हसदेव क्षेत्र द्वारा झगराखंड भूमिगत खदान से माइनिंग लीज में शामिल वनभूमि रकबा 1585.827 हे. को वन विभाग को वापस कर देने के बाद स्थानीय निवासियों सहित जनप्रतिनिधियों में खुशी की लहर है। इससे जहां लोगों को वन अधिकार पट्टा के माध्यम से जमीन का हक मिलेगा, निकाय के कामों में तेजी आएगी, पलायन जैसी समस्या का समाधान होगा वहीं लोग स्थायित्व की ओर रुख करेंगे।
एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के द्वारा जारी पत्र के अनुसार एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के झगराखंड कोल ब्लॉक कुल रकबा 2613.094 हेक्टेयर (1893.372 हेक्टेयर वनभूमि, 278.803 हेक्टेयर राजस्व भूमि एवं 440.919 हेक्टेयर निजी भूमि) में झगराखंड लीज नवीनीकरण के प्रस्ताव में 1893.372 हेक्टेयर वनभूमि में से रकबा 256.545 हेक्टेयर वनभूमि एवं हल्दीबाड़ी भूमिगत खदान हेतु व्यपवर्तित रकबा 51.00 हेक्टेयर वनभूमि कुल रकबा 307.545 हेक्टेयर वनभूमि को घटाकर शेष वनभूमि 1585.827 हेक्टेयर को वनभूमि के मूल स्वरूप में वापस करने हेतु 8 मई 2024 को अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (भू-प्रबंध) की अध्यक्षता में एसईसीएल हसदेव क्षेत्र एवं वन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों की बैठक संपन्न हुई।
बैठक में प्राप्त निर्देशानुसार एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के झगराखंड कॉलरी के 1585.827 हेक्टेयर वनभूमि को हस्तांतरण हेतु वन विभाग द्वारा गठित समिति के अधिकारी-कर्मचारी तथा एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के अधिकारी-कर्मचारी द्वारा एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के अधीनस्थ वनभूमि को पूरे क्षेत्रों का भ्रमण कर सर्वेक्षण तथा केएमएल फाइल बनाया गया है। स्थल पर मौजूद सभी संपत्ति एवं अतिक्रमित को सूचीबद्ध किया गया है। कक्ष क्रमांक पी704, पी700, पी703, पी701 कुल रकबा 1585.827 हेक्टेयर वनभूमि को 16 जनवरी 2025 को एसईसीएल हसदेव क्षेत्र झगराखंड द्वारा वन विभाग को विधिवत हस्तांतरित किया गया है।
जनसुविधाओं का होगा विस्तार
नगर पंचायत झगराखंड में यह बदलाव की शुरुआत है। अब से झगराखाड़ नगर पंचायत के जनप्रतिनिधि भी खुलकर विकास को जमीनी स्तर पर लागू कर पाएंगे। यहां के निवासियों की आवश्यक सुविधाएं पूर्ण होगी, जो लोग डर से पलायन करने की ओर थे, वे भी अब स्थायित्व के मायने समझेंगे। रोजगार के अवसर का सृजन होगा, आबादी में विस्तार होने से छोटे मझौले व्यवसायियों को राहत मिलेगी। सरकारी स्थाई भवन से सुविधाओं का विस्तार होगा। वन अधिकार पट्टा मिलने के बाद जमीन का हक मिलना आसान होगा।