मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर

लगभग 28 करोड़ वर्ष प्राचीन जीवाश्म को विकसित करने प्रशासन ने उठाए कदम
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेंद्रगढ़, 16 जनवरी। एशिया का सबसे बड़ा गोंडवाना समुद्री जीवाश्म पार्क मनेंद्रगढ़ छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी- भरतपुर जिले में स्थित एशिया का सबसे बड़ा जीवाश्म पार्क है, जो आज एक वैज्ञानिक विरासत स्थल के रूप में प्रसिद्ध है इस स्थल की खोज एक स्वतंत्र रूप वैज्ञानिक एस के घोष ने वर्ष 1954 में कोयले की खोज के दौरान थी। इंटेक द्वारा मार्च 2016 में प्रकाशित पुस्तक ए मोनोग्राफ ऑन नेशनल जिओ हेरीटेज मॉन्यूमेंट्स आफ इंडिया में भी दिया गया है तथा इस स्थान को भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा वर्ष 1982 में नेशनल जियोलॉजिकल मॉन्यूमेंट् घोषित किया गया है, तथा मरीन फॉसिल्स पार्क नाम दिया गया था।
कुछ वर्ष पूर्व अरुण कुमार पांडेय सचिव राज्य जैव विविधता बोर्ड की नेतृत्व में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया तथा बीरबल साहनी पूराविज्ञान संस्थान लखनऊ की टीम सर्वे करनी पहुंची तथा संरक्षित करने की सिफारिश की सन् 2021 में डायरेक्टर बीरबल साहनी पूराविज्ञान संस्थान लखनऊ, डायरेक्टर जनरल जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर तथा विभागाध्यक्ष रविशंकर विश्वविद्यालय की वेबीनार के माध्यम से चर्चा हुई तथा उन लोगों ने फॉसिल्स निरीक्षण कर संरक्षित तथा विकसित करने की सहमति बनी तत्पश्चात जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया और बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने शोध कार्य किया तथा करोड़ों साल पुराने समुद्री जीवाश्म होने की पुष्टि की। लगभग 29 करोड़ वर्ष पूर्व यह क्षेत्र समुद्र के नीचे स्थित था तथा वायुवॉल्व मोलस्का, यूरीडेस्मा,एक्युलोपेक्टेन जैसे जीवाश्म जो समुद्र में पाए जाते हैं, जो आज मनेंद्रगढ़ में स्थित है, जो यह बताता है कि करोड़ों वर्ष पूर्व यहां समुद्र था पमियन कॉल के बाद समुद्र का जलस्तर गिरने से यह भू-भाग आज समुद्र के स्तर से ऊपर आ गया।
14 मार्च 2022 को छत्तीसगढ़ राज्य के वन विभाग ने इस स्थल को राज्य का पहला समुद्री जीवाश्म पार्क घोषित किया। इसे विकसित करने का प्रयास शुरू किया लगभग 8 करोड़ का प्रपोजल पार्क को संरक्षित एवं पर्यटन स्थल बनाने हेतु वनविभाग द्वारा एस- ई- सी एल को भेजा गया था, जो आज तक लंबित है।
पुरातत्व एवं पर्यटन विभाग के जिला नोडल अधिकारी डॉ.विनोद पांडेय ने बताया की मनेंद्रगढ़ में स्थित गोंडवाना समुद्री जीवाश्म पार्क लगभग 28 करोड़ वर्ष प्राचीन है, यहां प्राप्त समुद्री जीव और वनस्पति के जीवाश्म इस बात के प्रमाणित है, जो धीरे-धीरे क्षरण होते जा रहे थे, लेकिन स्थानीय जिला प्रशासन व वन विभाग के प्रयासों से इसे संरक्षित एवं पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है। वन विभाग द्वारा इंटरप्रिटेशन सेंटर बिल्डिंग, पहुंच मार्ग तथा चारों तरफ फेंसिंग कार्य, फुटपाथ एप्रोच रोड, मेंन गेट, पार्किंग, होर्डिंग सौंदर्य करण आदि कार्य किया जा रहा है, साथ ही पत्थरों में कारीगरी डायनासोर व अन्य समुद्री जीवों के चित्र बनाए जा रहे हैं। शोध केंद्र व पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि भू- वैज्ञानिकों, शोधार्थियों तथा आम नागरिकों को इसका सही अभिज्ञान हो सके।