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बहुरूपिया स्पर्धा में आयोजन समिति पर नियमों की अनदेखी का आरोप
03-Jan-2025 2:51 PM
बहुरूपिया स्पर्धा में आयोजन समिति  पर नियमों की अनदेखी का आरोप

छत्तीसगढ़ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 3 जनवरी।
विदा वर्ष को यादगार बनाने एवं विलुप्त होती बहुरूपिया कला को धरोहर के रूप में संजाए रखने के लिए मनेंद्रगढ़ सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित बहुरूपिया प्रतियोगिता में नियम और शर्तों की अवहेलना किए जाने के आरोप अब जोर पकडऩे लगे हैं। लोगों का कहना है कि इसका असर परिणाम पर भी पड़ा है, हालांकि आयोजन समिति की ओर से भी अपना पक्ष रखा गया है।

दरअसल आयोजन समिति मनेंद्रगढ़ सांस्कृतिक मंच की ओर से बहुरूपिया प्रतियोगिता के लिए 11 प्रकार के नियम और शर्तों को लागू किया गया था। नियम और शर्तों में प्रतियोगी की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं होनी के साथ महिलाओं और लड़कियों का प्रवेश भी वर्जित रखा गया था, लेकिन बहुरूपिया प्रतियोगिता 2024 में 18 वर्ष से कम उम्र के प्रतियोगी शामिल हुए, जिनमें एक बच्ची भी शामिल रही। जब परिणाम जारी किए गए तब समूह में द्वितीय स्थान अर्जित कर बच्चे बाजी मार ले गए। इसके बाद से ही प्रतियोगिता के लिए निर्धारित नियम और शर्तों को लेकर आवाज उठनी शुरू हुई। 

हसदेव धारा सहित्य एवं कला मंच के संस्थापक सदस्य मृत्युंजय सोनी ने कहा कि हम कला और कलाकार दोनों का सम्मान करते हैं, लेकिन इस वर्ष मनेंद्रगढ़ में आयोजित बहुरूपिया प्रतियोगिता में जिस प्रकार नियम और शर्तों की अनदेखी कर परिणाम जारी किए गए उससे कई प्रतिभागी शिखर तक पहुंचने से चूक गए। उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ा आयोजन है जो मनेंद्रगढ़ से निकलकर अंतर्राज्यीय स्तर तक पहुंच चुका है जिसमें पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश तक के प्रतिभागी शामिल होते हैं। ऐसे में यदि नियम और शर्तों को ताक पर रखकर आयोजन किए जाएंगे तो आयोजन समिति के साथ शहर की छवि भी धूमिल होगी।

कला को उम्र के दायरे में नहीं बांध सकते - संयोजक
मनेंद्रगढ़ सांस्कृतिक मंच के संयोजक रामचरित द्विवेदी का कहना है चिरमिरी से प्रतियोगिता में शामिल होने आए बच्चों के अभिभावकों ने कहा कि वे अपने बच्चों के प्रदर्शन के दौरान पूरे समय उनके साथ रहेंगे और किसी भी प्रकार की घटना की जिम्मेदारी उनकी होगी, इस पर आयोजन समिति के द्वारा विचार कर नियमों को शिथिल करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि जंगली कबीला वालों में भी नाबालिग शामिल रहे। संयोजक ने सफाई देते हुए कहा कि कला को उम्र के दायरे में बांधकर नहीं रखा जा सकता।


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