मनेन्द्रगढ़-चिरिमिरी-भरतपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 19 अक्टूबर। अवयस्क पीडि़ता को विवाह का झांसा देकर बहला-फुसलाकर अपने साथ भगाकर ले जाने और उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध स्थापित करने के जुर्म में विशेष अपर सत्र न्यायाधीश (पॉक्सो) मनेंद्रगढ़ आनंद प्रकाश दीक्षित की अदालत ने दोषसिद्ध पाए जाने पर अभियुक्त को आईपीसी की विभिन्न धाराओं में अलग-अलग सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
विशेष लोक अभियोजक जीएस राय ने बताया कि अभियुक्त ने 19 फरवरी 2013 को पीडि़ता को शादी का झांसा देकर उसके घर से भगाकर उसे अपने साथ रायपुर ले गया, जहां किराए के मकान में 2 माह तक रखकर उसके साथ जबरन लगातार शारीरिक संबंध स्थापित किया। इसके बाद वह 12 अप्रैल 2013 को पीडि़ता को रायगढ़ ले गया, वहां भी एक घर में रखकर उसके साथ लगातार शारीरिक संबंध बनाता रहा।
मामले में पीडि़ता की शिकायत के आधार पर आरक्षी केंद्र जनकपुर द्वारा आईपीसी की विभिन्न धाराओं में अभियुक्त के विरूद्ध अभियोग पत्र तैयार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जिसमें न्यायालय द्वारा जनकपुर थानांतर्गत ग्राम गांजर निवासी अभियुक्त 35 वर्षीय रविकांत दुबे के दोषसिद्ध पाए जाने पर उसे धारा 363 के अपराध में 2 वर्ष, धारा 366 के अपराध में 5 वर्ष एवं धारा 376(2)(एन) के अपराध में 10 वर्ष सश्रम कारावास तथा सभी धाराओं में 500-500 रूपए अर्थदंड से दंडित किया।


