महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 31 मार्च। नगर से मात्र 20 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ वन विकास निगम बार नयापारा परियोजना मंडल में आग ने भारी तबाही मचाते हुए सैकड़ों चट्टे जलाऊ और अनेक सागौन के ल_ों को अपनी चपेट में ले लिया है। एक अनुमान के अनुसार इस अग्निकांड में लाखों की जलाऊ एवं स्वर्ण काष्ठ जलाऊ राख हो गयी है।
बुधवार दोपहर निगम क्षेत्र में तीन दिनों से लगातार अग्नि तांडव जारी रहने की खबर मिलते ही ‘छत्तीसगढ़’ ने घटना की जानकारी ली। घटना के संबंध में ग्रामीणों ने बताया कि छ ग वन विकास निगम बारनयापारा परियोजना परिक्षेत्र अंतर्गत रवान परिक्षेत्र में विगत 3 दिनों से कई स्थानों पर भारी आग लगी हुई है। आग लगने से शासन को लाखों का नुकसान पहुंचा है। हालांकि नुकसान का वास्तविक आंकड़ा तो पता नहीं, परन्तु प्रथम दृष्टया देखने से यह लगता है कि करीब पचास लाख से भी ऊपर की इमारती सागौन लकड़ी, जलाउ चट्टा जलकर राख हो गए हैं।
ज्ञात हो कि वन विकास निगम द्वारा हर वर्ष वन विकास निगम द्वारा तैयार चिन्हित पेड़ों के कुप कटाई करते हैं। इस वर्ष प्रत्येक बीट में भारी कटाई का कार्य हुआ है। जिसके तहत राष्ट्रीय कृत स्वर्ण काष्ठ सगौन सहित, मिश्रित प्रजाति पेड़ की कटाई किया गया था।
आसपास के प्रत्यक्षदर्शी ग्रामीणों का कहना है कि जंगल में अनेक स्थानों पर सागौनल_ा, जलाउ लकडिय़ां जलकर खाक हुई हैं। इसमें वन विकास निगम के रवान रेंज के अंतर्गत ग्राम दलदली के पास सागोन जंगल भी शामिल है, जो पूरी तरह जल कर जलकर राख हो गया है। इसी तरह रवान से रायतुम मार्ग गाजार्डिह, कोहबहरा, मुरमडीह में भी भारी नुकसान हुआ है। ग्राम मोहदा के पास बालमदही नाला एवं बल्दाकछार मार्ग पूरी तरह से जलकर राख हो गए हैं। जंगल में पड़े बल्ली, ल_ा, गोला,, डेंगरी, जलाऊ चट्टा हजारों की संख्या में जल चुका है। जिसका सही मायने में मूल्यांकन किया जाए तो लाखों में होगा।
ग्रामीणों के अनुसार वन विकास निगम द्वारा अग्नि सुरक्षा हेतु एक भी पहरी चौकीदार फायर वाचर की नियुक्ति नहीं की गई है। ग्रामीणों ने बताया कि बुधवार शाम तक अनेक स्थानों पर आग की लपटें और धुआं धुआं दिखाई दे रहा है इससे यह पता चलता है कि आग लगना अनवरत जारी है।
बताया जाता है कि जंगल के बहुत बड़े क्षेत्र में भयानक अग्निकांड के नियंत्रण के लिए विभाग द्वारा दो ग्रामीणों को मजदूरी में लगाया गया है। कुछ ग्रामीणों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि इस वर्ष काफी संख्या में कतई हुई थी, जिससे करीब 500 चट्टा जलाऊ और भारी मात्रा में सागौन के ल_े जंगल में ही पड़े थे, जो कि अग्निकांड की भेंट चढ़ गए है।