महासमुन्द

महासमुंद के 40 गांवों में भू-जल स्तर में भारी गिरावट
28-Mar-2021 2:26 PM
 महासमुंद के 40 गांवों में भू-जल स्तर में भारी गिरावट

समोदा बैराज का पानी बाहर निकाला, ग्रामीण कहते हैं-यह सारा खेल रेत के लिए है

सैकड़ों बोर बैठ गए, हजारों एकड़ खेती सूख रही, नलकूपों से पानी नहीं निकल रहा

उत्तरा विदानी

महासमुंद, 28 मार्च (छत्तीसगढ़)। भीषम गर्मी के दिनों में भी लबालब रहने वाला समोदा बैराज इस बार गर्मी की शुरूआत में ही सूख गया है। जानकारी मिली है कि इस बार बैराज में पानी भरने ही नहीं दिया गया और जो पानी भरा था, उसे भी करीब डेढ़ महीने पहले छोड़ दिया गया। इससे महानदी सूख गई है। इससे महासमुन्द जिले के 40 गांवों में भीषम जलसंकट है। तालाब सूख चुके हैं। नलकूपों से पानी नहीं निकल रहा है। हजारों एकड़ की खेती धूप से जल गई है। किसानों ने खेत जाना छोड़ दिया है। 

बैराज से पानी बाहर करने का कारण कोई भी अधिकारी नहीं बताता। लेकिन ग्रामीण कहते हैं कि महानदी से रेत निकालने के लिए मददगार बनने अधिकारियों ने बैराज का गर्भ सूखा कर दिया। हकीकत भी यही है कि महानदी के दोनों तटों पर दिन रात बड़ी बड़ी मशीने रेत खोदने और रेत को गांवों में ले जााकर डंप करने का काम कर रही हैं। जिले के तमाम अधिकारी चुप हैं। वे न तो ग्रामीणों की निस्तारी के लिए सूखे तालाबों-नलकूपों पर कुछ कहना चाहते हैं और न ही किसानों की सूखती फसल पर बोलते हैं। वे तो गांवों में रातों रात खड़ा किए गए रेत के बड़े-बड़े अवैध पहाड़ के बारे में भी कुछ नहीं बोलना चाहते।  

बैराज सूखने के बाद महानदी भी सूख गई तो नदी के दोनों साइड के करीब 40 गांवों के किसानों और आम जनता बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। इन गांवों में भू-जल स्तर में भारी गिरावट आई है। सैकड़ों बोर बैठ गए हैं। हजारों एकड़ खेती सूख रही है। नलकूपों से पानी नहीं निकल रहा है। अनेक निस्तारी तालाबों में बूंद भर पानी नहीं बचा है। किसान खून के आंसू रो रहे हैं, आम जनता पीने और निस्तारी के पानी के लिए दर-दर भटक रही है। समोदा बैराज सूखा तो महानदी के सारे घाट भी सूख गए और ऐसे में चारों तरफ नदी से रेत निकालने का काम चौबीसों घंटे जारी है।  समोदा बैराज में जलभराव के कारण महानदी का पानी सूखता नहीं था और रेत घाटों में पानी भरे होने से रेत का उत्खनन नहीं हो पाता था। अब जबकि रेत घाट सूख चुके हैं तो धड़ल्ले से रेत निकाली जा रही है। इस तरह समोदा बैराज के खाली होने का फायदा केवल रेत माफियाओं को मिल रहा है। ग्रामीण आरोप लगाते हैं कि रेत माफियों को फायदा पहुंचाने के लिए ही समोदा बैराज का पानी खाली कर दिया गया। 

महासमुंद और रायपुर जिले की सीमा रेखा पर बहने वाली महानदी अपने पानी से रायपुर जिले के हजारों एकड़ खेतों को सींचती है साथ ही महासमुंद जिले के 10-15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले करीब 30-40 गांवों में भू-जल स्तर को सपाट बनाए रखती है। महानदी पर बने निसदा और समोदा बैराज में होने वाले जलभराव के कारण नदी के दोनों किनारों के करीब 60 गांवों में भीषण गर्मी के दिनों में भी ट्यूबवेल भरपूर पानी देते रहे। लेकिन इस बार स्थिति उलट हो गई है। समोदा बैराज जो गर्मी में भी लबालब भरा रहता था आज उसका पानी तलहटी में सिमट गया है। क्योंकि इस बार बैराज के गेटों को लगातार खुला रखा गया और पानी को नदी में बह जाने दिया गया। क्यों.. इसका कोई ठोस जवाब नहीं मिल रहा। इस वक्त बैराज में कहीं कोई काम भी नहीं चल रहा है। न ही कोई बड़ा कार्य प्रस्तावित है जिसके लिए बैराज को खाली रखने की जरूरत पड़े।

पानी निकलने केबाद बैराज सूखा तो महानदी के दोनों साइड भू.जल स्तर अचानक गिर गया है। सैकड़ों ट्यूबवेल बैठ गए हैं। और जो ट्यूबवेल चल रहे हैं, वे कभी भी बंद हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में हजारों एकड़ रकबे में लगी धान की रबी फसल सूख कर मरने की कगार पर है। ग्राम अछोला,अछोली, गढ़सिवनी, भोरिंग, जोबा, नयापारा, अछरीडीह, बडग़ांव, बिरकोनी, घोड़ारी, खट्टी, कांपा, बेलटुकरी आदि गांवों के आम लोगों व किसानों के खेतों में लगे बोर बंद हो चुके हैं। पानी के अभाव में फसल सूखने लगा है। बता दें कि रबी सीजन की खेती ट्यूबवेलों के भरोसे ही हो पाती है। पानी के बिना फसल की तबाही तो तय है, और इन गांवों में पीने के पानी के लिए भी तकलीफ  होने लगी है।

पेयजल के लिए स्थापित अनेक सार्वजनिक हैंडपंप, नलकूप और निजी घरेलू बोर भी इस बार ठप हो गए हैं। गांवों के तालाब भी सूख गए हैं, जिससे निस्तारी का संकट भी छाने लगा है। अभी तो गर्मी की शुरूआत है। आने वाले दिनों में हाहाकार की स्थिति हो सकती है। समोदा बैराज का पानी खाली किए जाने से महानदी की दोनों ओर महासमुंद और रायपुर जिले के करीब 40 गांवों में भू-जल स्तर में भारी गिरावट आई है। रबी फसल की बर्बादी के साथ ही पेयजल की किल्लत और निस्तारी के लिए पानी की कमी जैसी विकट स्थिति बन रही है। इससे किसान दुखी है और आम लोग परेशान हैं। 

समोदा बैराज में उसकी क्षमता के अनुरूप 16 फीट तक जलभराव होता था। तब बैराज से बडग़ांव, बरबसपुर, पारागांव रेत घाट तक नदी में पानी भरा होता था। अबकी बार बैराज खाली और नदी सूखी है, तो रेत की लूट मची है। बरबसपुर, बडग़ांव,  पारागांव में नियमों को ताक पर रखकर स्वीकृत स्थान से हटकर नदी में हर जगह रेत उत्खनन किया जा रहा है। नदी से हजारों ट्रक रेत रोज निकाली जा रही। यहां से रेत निकालकर जगह-जगह रेत का अवैध भंडारण भी किया जा रहा है। महासमुंद जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर बिरकोनी, बरबसपुर, बडग़ांव, घोड़ारी आदि गांवों में  रेत का अवैैध पहाड़ तैयार है।  

ग्राम पंचायत अछोली के चंद्रशेखर साहू का कहना है कि समोदा बैराज से इस साल पानी छोड़े जाने से गांव का जलस्तर नीचे चला गया है। बैराज में पानी भरा रहता था तो कोडार नाला में भी नयापारा, अछरीडीह और कांपा के जाते तक पानी भरा रहता था। इस कारण इन गांवों में भी भूजल स्तर गर्मी में भी बना रहता था। लेकिन इस वर्ष गर्मी शुरू होने से पहले ही बहुत से बोर बंद हो गए हैं। गांव के हैडपम्प भी बंद हो गए हैं। केवल स्पॉट सोर्स बोर में पानी आ रहा, लेकिन वह भी कब बंद हो जाए भरोसा नहीं।

निसदा-समोदा व्यपवर्तन योजना के सीईओ श्री नागरिया कहते हैं-समोदा बैराज में गेट आदि से सम्बंधित बस रूटिंग के कार्य कराए गए हैं। इसके अलावा कोई बड़ा काम नहीं है। फिलहाल कोई बड़ा काम भी प्रस्तावित नहीं है। पानी छोडऩे का कोई विशेष कारण नहीं है। यह बात सही है कि डायवर्सन के कारण दोनों साइड के गांवों में वाटर लेबल बहुत अच्छा रहता है और ट्यूबवेल चलाकर किसान फसल लेते हैं। बारिश में डेम फिर से भर जाएगा। राजिम मेला के लिए नदी में पानी दिए जाने के बाद समोदा बैराज में भी कुछ जल भराव हुआ है।

रेत का अवैध भंडारण तो घोड़ारी, खट्टी परसदा मार्ग यानी जिला मुख्यालय के आसपास अनेक स्थानों पर है। छत्तीसगढ़ नागरिक मंच इसकी सूचना खनिज अधिकारियों को लगातार दे रही है। लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है।  गांवों की सडक़ों पर चौबीसों घंटे रेत से ओवरलोड ट्रकें निकलती हैं, वह भी बिना पीटपास। 

 


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