महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 22 मार्च। बागबाहरा ब्लॉक के ग्राम पंचायत कसहीबाहरा के नवाडीह गांव में वन भूमि में कब्जे के मामले में नया मोड़ आया है। नायब तहसीलदार की ओर से जारी प्रतिवेदन के बाद ग्रामीणों में आक्रोश है।
रविवार को गांव में बैठक आयोजित की गई। बैठक में बागबाहरा जनपद अध्यक्ष स्मिता हितेश चंद्राकर भी शामिल हुए। ग्रामीणों ने कहा कि नायब तहसीलदार द्वारा मुर्गी फार्म को छोडक़र अतिरिक्त अतिक्रमण को बेदखली करने का आदेश अनैतिक और पक्षपातपूर्ण है। इससे स्पष्ट होता है की मुर्गी फार्म चाहे वैध स्थान में बन रहा है या अवैध, वहां से हटेगा नहीं। ऐसे में ग्रामीणों ने आज सोमवार को एसडीएम कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया है।
ग्रामीणों की शिकायत पर जांच के बाद नायाब तहसीलदार ने 18 मार्च को आदेश जारी कर खसरा नंबर 168 रकबा 0.20 हेक्टेयर भूमि पर निर्माणाधीन मुर्गी फार्म 230 बाई 32 वर्गफीट के अतिरिक्त अतिक्रमित भूमि रकबा 0.40 हेक्टेयर पर से अतिक्रमण हटाने एवं बेदखली का आदेश जारी किया है। इसी आदेश के बाद से ग्रामीण एक बार फिर से आक्रोशित हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि पटवारी और आरआई ने स्थल जांच प्रतिवेदन में यह नहीं कहा है कि निर्माणाधीन मुर्गी फार्म कृषक के पट्टा जमीन में बन रहा है। पटवारी ने अपने प्रतिवेदन में इतना कहा है कि उक्त कृषक को 0.20 हेक्टेयर भूमि वन पट्टा में मिला है। मौके पर उक्त कृषक का कब्जा 0.60 हेक्टेयर में पाया गया। वहीं ग्रामीणों ने पटवारी के प्रतिवेदन पर भी नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि पटवारी को अपने प्रतिवेदन में कब्जा किए गए स्थल और उसके रकबे का उल्लेख करना था।