महासमुन्द

मित्रता में त्याग व समर्पण का भाव होना चाहिए-वर्षा नागर
24-Jan-2021 4:46 PM
मित्रता में त्याग व समर्पण का भाव होना चाहिए-वर्षा नागर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुन्द, 24 जनवरी।
उज्जैन की संत वर्षा नागर ने कहा कि मित्रता में त्याग व समर्पण का भाव होना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने सच्ची मित्रता का पाठ पढ़ाया है। वहीं सुदामा ने समर्पण भाव से भक्ति की। जिस पर सुदामा को भक्ति का प्रसाद गरीबी दूर होने के साथ उन्हें मिला। श्रीकृष्ण-सुदामा प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। 

ग्राम केशवा में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण भक्ति सत्संग एवं ज्ञान यज्ञ सप्ताह में कल शनिवार को वर्षा नागर ने भागवत कथा में श्रीकृष्ण और सुदामा चरित्र का वर्णन किया। सुदामा चरित्र की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि समर्पण भाव से जो भक्त भक्ति करते हैं उन पर भगवान की कृपा बनी रहती है। ब्राम्हण सुदामा दिखावा नहीं करता था। वह गरीब था। 

गरीबी में खुश था। पत्नी सुशीला ने सुदामा से यह कहा कि श्रीकृष्ण जब तुम्हारे दोस्त हैं तुम मिलने क्यों नहीं जाते। तुम्हारे बाल सखा हैं भगवान, अपनी दशा सही हो जाएगी। पत्नी के कहने पर सुदामा द्वारिका गए। साथ में दो मु_ी चावल लेकर गए। द्वारिका पहुंचने से पहले उनके पैरों पर छाले भी पड़ गए और बेहोशी की हालत में पहुंच गए। तब भगवान गरूड़ ने उन्हें द्वारिकापुरी पहुंचाया। उन्होंने वहां पर कुछ भी नहीं मांगा, फिर भी भगवान श्रीकृष्ण ने सब कुछ सुदामा को दे दिया। 
 


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