महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 22 दिसंबर। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) में प्रस्तावित बदलावों को लेकर कांग्रेस पार्टी द्वारा महासमुंद जिला मुख्यालय में धरना-प्रदर्शन आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम प्रदेशभर में किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों की कड़ी में आयोजित किया गया।
धरना-प्रदर्शन के दौरान छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सह प्रभारी विजय जांगिड़ ने कहा कि मनरेगा योजना के तहत पहले केंद्र सरकार द्वारा 90 प्रतिशत वित्तीय हिस्सेदारी वहन की जाती थी, जबकि प्रस्तावित बदलावों के बाद केंद्र सरकार 60 प्रतिशत और राज्य सरकारें 40 प्रतिशत व्यय वहन करेंगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों पर अतिरिक्त वित्तीय भार डालने से योजना के क्रियान्वयन में कठिनाई आ सकती है।
विजय जांगिड़ ने कहा कि कांग्रेस इस बदलाव का विरोध कर रही है और यह विरोध मनरेगा के स्वरूप में परिवर्तन तथा योजना से महात्मा गांधी के नाम को हटाने के प्रस्ताव से जुड़ा है। उन्होंने इस संबंध में भाजपा की नीतियों पर सवाल उठाए।
खल्लारी विधायक एवं जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष द्वारिकाधीश यादव ने कहा कि मनरेगा का नाम बदलने और इसके प्रावधानों में परिवर्तन से योजना के मूल उद्देश्य पर असर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार द्वारा मनरेगा लागू किया गया था, जिसमें 100 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी और बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान शामिल था। उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान इस योजना की भूमिका का भी उल्लेख किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अमरजीत चावला ने कहा कि मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने की एक प्रमुख योजना रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार द्वारा इसमें बदलाव किए जा रहे हैं, जिसका कांग्रेस विरोध कर रही है।
धरना-प्रदर्शन के दौरान अन्य वक्ताओं में सरायपाली विधायक चातुरी नंद, जिला प्रभारी दिनेश यदु, पूर्व जिला अध्यक्ष आलोक चंद्राकर, जनपद अध्यक्ष केशव चंद्राकर सहित कई कांग्रेस नेताओं ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन शहर कांग्रेस अध्यक्ष खिलावन बघेल ने किया तथा आभार प्रदर्शन दिव्येश चंद्राकर ने किया।
धरना-प्रदर्शन में जिलेभर से कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए।


