महासमुन्द

अब महासमुंद में मखाना उत्पादन की तैयारी: जलीय फसल को लेकर विशेष फ ोकस, 150 तालाबों को लेकर भेजा प्रस्ताव
27-Dec-2025 4:20 PM
अब महासमुंद में मखाना उत्पादन की तैयारी: जलीय फसल को लेकर विशेष फ ोकस, 150 तालाबों को लेकर भेजा प्रस्ताव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 27 दिसंबर। मुख्यत: बिहार तथा उत्तरप्रदेश में सर्वाधिक लगाई जाने वाली मखाने की खेती अब महासमुंद जिले में भी होगी। इसे लेकर अब किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले उद्यानिकी विभाग किसानों को मखाने की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। हालांकि पड़ोसी जिले धमतरी तथा रायपुर जिले के आरंग के आसपास कुछ किसान बीते 4 वर्षों से इसकी खेती कर रहे हैं। उद्यानिकी विभाग ने इसे लेकर प्रस्ताव तथा रूपरेखा बनाकर शासन को भेजा है। यानी नए सत्र से अब हमारे जिले में किसानों को नि:शुल्क बीज का वितरण कर लगभग 150 तालाबों में इसका प्रदर्शन किया जाएगा। सुपर फुड कहे जाने वाले मखाने की खेती कर प्रदेश के अनेक जिलों में स्व.सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं।

मालूम हो कि हाल ही में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रयासों के बाद छत्तीसगढ़ को केंद्रीय मखाना बोर्ड में शामिल कर लिया गया है। इससे महासमुंद के किसान अब सीधे बोर्ड को अपना उत्पाद बेच सकेंगे और बेहतर मूल्य प्राप्त करेंगे। केंद्र सरकार ने मखाना क्षेत्र के विकास के लिए 476.03 करोड़ की योजना 2025 से 2031 शुरू की है। छत्तीसगढ़ में मखाना प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए 35 प्रतिशत तक का अनुदान सब्सिडी दिया जा रहा है। जिले में इसे व्यावसायिक स्तर पर फैलाने के लिए विशेष प्रोजेक्ट तैयार किए गए हैं। किसानों को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों के माध्यम से प्रशिक्षण और श्एक्सपोजर विजिटश् कराई जा रही है।

जिला प्रशासन और उद्यानिकी विभाग किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन और मखाने की खेती को लेकर सहायता दे रहे हैं। मखाने की खेती से धान की तुलना में लगभग दोगुना 64 हजार प्रति हेक्टेयर तक शुद्ध लाभ मिल रहा है। जिससे यह किसानों के लिए एक आकर्षक नकदी फसल बन गई है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ और कृषि विस्तार अधिकारी किसानों को तकनीकी जानकारी और प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। जिसमें फसल की कटाई और बीज निकासी शामिल हंै। मखाने की फसल को 2-3 फ ीट पानी की आवश्यकता होती है। यह लगभग 6 महीने में तैयार होती है और अक्टूबर-नवंबर में इसकी कटाई शुरू हो जाती है। धान के मुकाबले अच्छा मुनाफ ा मानी जा रही है।

कहा जा रहा है कि एक एकड़ में मखाने की खेती से धान के मुकाबले मखाने की खेती अधिक लाभदायक लगभग 70 हजार से 1 लाख तक का शुद्ध लाभ हो सकता है। छत्तीसगढ़ में उत्पादित मखाने को स्थानीय ब्रांडों के नाम से बाजार में उतारा जा रहा है। जिससे महासमुंद और आस-पास के क्षेत्रों के किसानों को सीधे मार्केटिंग में मदद मिल रही है। मखाने की खेती के लिए खेतों या तालाबों में हमेशा 2 से 3 फ ीट पानी की उपलब्धता जरूरी है। यह फसल जंगली जानवरों से सुरक्षित रहती है और अत्यधिक बारिश से भी इसे नुकसान नहीं होता, जो महासमुंद के कुछ इलाकों के लिए फायदेमंद है।


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