महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,11 दिसंबर। इन दिनों महासमुंद जिले की खल्लारी माता मंदिर मोहक प्राकृतिक खूबसूरती के साथ लोगों को लुभा रही है। इस मंदिर तक पहुंचने पहाड़ी पर 842 से 850 सीढ़ीयां बनाई गई हैं। ऊपर मंदिर की चोटी से नीचे देखने पर चारों तरफ जंगल, पहाडिय़ां और आसपास का प्राकृतिक नजारा इस जगह को और भी जीवंत करता है।
मान्यता है कि यहां देवी की कृपा से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। विशेषकर उन दंपतियों की, जिन्हें संतान सुख नहीं है। हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा पर यहां वार्षिक मेला लगता है। जिसमें दूर-दूर से भक्त शामिल होते हैं।
जानकारी अनुसार यहां नवरात्रि के दौरान ज्योति कलश प्रज्वलित करने की शुरुआत साल 1985 में शुरू हुई थी। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस पहाड़ी को पहले खलवाटिका नाम से जाना जाता था। यह जगह कभी दक्षिण कलचुरी वंश लहुरी शाखा के राजा हरि ब्रह्म देव की राजधानी थी।
ऐसा भी माना जाता है कि महाभारत काल के दौरान पांडव इस पहाड़ी पर आए थे। यहां पर उस समय के रूप में भीम के पदचिन्ह आज भी पहाड़ी पर देखे जाते हैं।


