महासमुन्द
संसद में कहा-धरोहर विकास के लिए राज्य और केंद्र दोनों से समन्वय तेज करेंगे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,10 दिसंबर। छत्तीसगढ़ की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत सिरपुर और राजिम को राष्ट्रीय तीर्थ पर्यटन मानचित्र पर प्रतिष्ठित करने की दिशा में लोकसभा में सोमवार को एक महत्वपूर्ण पहल हुई। महासमुंद लोकसभा क्षेत्र की सांसद रूपकुमारी चौधरी ने दोनों स्थलों को इस योजना में शामिल करने के विषय पर केंद्र सरकार से गंभीर और विस्तृत जवाब मांगा। उनकी पहल ने सिरपुर और राजिम के महत्व को एक बार फिर राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है।
लोकसभा में सांसद ने चार प्रमुख प्रश्न मंत्रालय के समक्ष रखा। जिनमें क्या सरकार छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण तीर्थ एवं सांस्कृतिक-धार्मिक महत्व वाले स्थलों सिरपुर और राजिम को इस योजना में शामिल करने पर विचार कर रही है? यदि हां तो इन स्थलों के चयन, मूल्यांकन एवं स्वीकृति हेतु निर्धारित मानदंड और प्रक्रिया क्या है? सिरपुर और राजिम में अधोसंरचना विकास, पर्यटक सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण तथा सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विरासत के संरक्षण के लिए अब तक क्या कदम प्रस्तावित या क्रियाशील हैं? क्या इन दोनों स्थलों के संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार या स्थानीय प्रशासन द्वारा कोई औपचारिक अनुरोध भेजा गया है? यदि भेजा गया है, तो उसकी वर्तमान स्थिति क्या है? शामिल हैं।
इस तरह सदन में उठे इन प्रश्नों से दोनों स्थलों के महत्व और विकास की आवश्यकता पर फिर से राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा तेज हो गई है। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने स्पष्ट किया कि विश्वधरोहर योजना के अंतर्गत चयन की प्रक्रिया निर्धारित नियमों और प्राप्त प्रस्तावों के अनुसार की जाती है। इस योजना को 10 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। इसलिए केंद्र सरकार इसके समीक्षात्मक सुधार और संभावित पुनर्गठन पर विचार कर रही है। मंत्री के अनुसार इस योजना का एक नया, अधिक प्रभावी और विस्तारित रूप भविष्य में सामने आ सकता है, जो देशभर के प्रमुख तीर्थस्थलों के समग्र विकास को नई दिशा देगा। मंत्री के इस उत्तर ने संकेत दिया कि निकट भविष्य में पर्यटन और आध्यात्मिक विरासत संरक्षण की राष्ट्रीय नीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन संभव हैं। सांसद चौधरी ने सदन में दोनों स्थलों के विशिष्ट महत्व को विशेष रूप से रेखांकित किया। कहा कि सिरपुर बौद्ध, शैव, वैष्णव और जैन परंपराओं का जीवंत संगम है।
लक्ष्मण मंदिर सहित उत्कृष्ट पुरातात्विक विरासत, महाविहार, शैवालय, वैष्णव मंदिर समूह, ह्वेनसांग के यात्रा.वृतांत में दर्ज समृद्ध इतिहास वैश्विक स्तर पर यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल हो सकने की प्रबल संभावना है। सांसद चौधरी ने जोर दिया कि दोनों स्थल केवल पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की आत्मा और सांस्कृतिक स्वाभिमान का प्रतीक है। केंद्रीय मंत्री के उत्तर के बाद सांसद चौधरी ने कहा कि वे अब इस विषय में राज्य सरकार, विभागीय अधिकारियों, प्रदेश के संस्कृति मंत्री और मुख्यमंत्री के साथ सक्रिय रूप से समन्वय स्थापित करेंगी। सांसद चौधरी ने कहा सिरपुर और राजिम हमारे गौरव के स्तंभ हैं। इनके विकास, संरक्षण और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठापन के लिए मैं हर स्तर पर पूरी क्षमता के साथ प्रयास करूंगी। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक परियोजना नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को पुनस्र्थापित करने का ऐतिहासिक अवसर है।


