महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 7 दिसंबर । वनमंडलाधिकारी महासमुंद मयंक पांडेय के निर्देश पर पिथौरा वन परिक्षेत्र के कक्ष क्रमांक 248 संरक्षित वन में अवैध कटाई एवं सफाई कर अतिक्रमण के प्रयास पर बीते 5 दिसंबर को आवश्यक एवं त्वरित कार्यवाही की गई। उक्त प्रकरण में आरोपियों मधुसूदन एवं साधु, निवासी ग्राम मेमरा के विरुद्ध वन अपराध क्रमांक 20656,20 दिनांक 5 दिसंबर के प्रकरण को विवेचना में लिया गया।
वन मंडलाधिकारी द्वारा जारी विज्ञप्ति में जानकारी दी गई है कि पूछताछ के दौरान आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन्हें लगभग 2-3 वर्ष पूर्व प्रत्येक को 5-5 एकड़ क्षेत्र में वन अधिकार पत्र प्राप्त हुआ था। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि अपने पट्टा क्षेत्र से सटे जंगल को धीरे-धीरे काटकर उसे कृषि भूमि में परिवर्तित कर अपनी भूमि में मिलाने के उद्देश्य से 0.61 हे0 क्षेत्र में 149 हरे.भरे खड़े वृक्षों की अवैध कटाई की गई। क्षेत्र में अवैध कटाई एवं सफाई कार्य से वन्यजीवों के घोंसलों, अंडों तथा उनके प्राकृतिक रहवास को भी क्षति पहुंची है।
स्थल निरीक्षण के दौरान वन्यजीवों की उपस्थिति एवं रहवास से संबंधित साक्ष्य प्राप्त हुए जिन्हें विधिवत संकलित किया गया।
जारी विज्ञप्ति के अनुसार तलाशी के दौरान आरोपियों के निवास से 21 नग सागौन चिरान, दो नग कुल्हाड़ी एवं एक नग हाथ आरा जप्त किया गया। आरोपियों ने स्वीकार किया कि जप्त कुल्हाड़ी का उपयोग ही वृक्षों की कटाई में किया गया था। कक्ष क्रमांक 248 में हुई लोकसंपत्ति की क्षति एवं पर्यावरणीय हानि को ध्यान में रखते हुए आरोपियों के विरुद्ध.लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1984, भारतीय वन अधिनियम 1927, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 तथा छत्तीसगढ़ काष्ठ चिरान अधिनियम 1984 की प्रासंगिक धाराओं के तहत वैधानिक कार्यवाही की गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए दोनों आरोपियों को 6 दिसंबर को गिरफ्तार कर न्यायालय बसना में प्रस्तुत किया गया। जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया है।


