महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 4 दिसंबर। औद्योगिक क्षेत्र बिरकोनी स्थित 9एम दवा निर्माण कंपनी में कार्यरत श्रमिकों ने वेतन, कार्यघंटे और प्रक्रियाओं से जुड़ी शिकायतें मंगलवार को एसपी और विधायक के समक्ष रखीं। श्रमिकों के अनुसार कंपनी में लगभग 250 युवक और 60 युवतियाँ कार्यरत हैं।
श्रमिकों ने आरोप लगाया कि— कंपनी में कार्यरत श्रमिकों का पीएफ नहीं काटा जाता। उन्हें कलेक्टर दर से कम वेतन दिया जाता है। 8 घंटे के स्थान पर 12 घंटे तक काम लेने की स्थिति बनती है। समय पर वेतन का भुगतान नहीं किया जाता। शिकायत उठाने पर नौकरी से निकालने की बात कही जाती है।
श्रमिकों ने यह भी कहा कि महासमुंद, तुमगांव, कांपा और अन्य आसपास के गाँवों से युवक-युवतियाँ काम पर आते हैं। श्रमिकों का कहना है कि उन्हें 8 घंटे के हिसाब से 200–250 रुपये प्रतिदिन का भुगतान किया जाता है, जिससे मासिक भुगतान 6,000-7,500 रुपये के बीच आता है, जबकि सरकारी दर के अनुसार 11,750 रुपये होना चाहिए।
विधायक के पास पहुंचे श्रमिकों ने आरोप लगाया कि कंपनी में वेतन संबंधी विवरण शासन की गाइडलाइन के अनुसार दिखाया जाता है, परंतु भुगतान कम किया जाता है। विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा ने इस संबंध में कंपनी के प्रबंध निदेशक से दूरभाष पर बात कर श्रमिकों के बकाया भुगतान को खातों में हस्तांतरित करने को कहा।
श्रमिकों ने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी में मैनेजर द्वारा श्रमिकों को अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान अलग स्थानों पर रुकने के लिए कहा जाता है और वेतन को कलेक्टर दर के अनुरूप बताया जाता है।
विधायक कार्यालय में श्रमिकों की समस्याएँ सुने जाने के बाद उन्होंने श्रम विभाग के अधिकारियों और ठेकेदार को बुलाकर मामले की जानकारी ली। श्रम अधिकारी को जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। ठेकेदार को कार्यघंटों, वेतन और सुरक्षा उपकरण सहित आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए कहा गया।
जिला श्रम अधिकारी डी.एन. पात्र ने कहा कि कंपनी ने पहले एक शिफ्ट की जानकारी दी थी और दूसरी शिफ्ट की जानकारी नहीं दी थी। उन्होंने बताया कि कर्मियों की संख्या और कार्यघंटों से संबंधित तथ्यों की जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है। पात्र के अनुसार, कर्मचारियों की 8 घंटे की कार्यावधि और 1 घंटे के लंच टाइम पर सहमति बना ली गई है। जांच के बाद तथ्य उजागर होने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


