महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 3 दिसंबर। महासमुंद शहर में सडक़ किनारे और चौक-चौराहों पर ठेले और होटलों में फूड सेफ्टी एक्ट का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।
सरकारी नियमों के मुताबिक कागजों में खाद्य सामग्री देना प्रतिबंधित है। बावजूद शहर में अखबारों के खतरनाक रसायन युक्त प्रिंटेड कागजों में लोगों को भेल, समोसा, खस्ता, एगरोल, आलू गुंडा, बड़ा समेत कई खाद्य सामग्री परोसा जा रहा है। इसके असर से लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। महासमुंद के कलेक्टर कार्यालय से लेकर रायपुर रोड के अंतिम सडक़ तक सभी होटलों और ठेलो में प्रिंटेड कागज के कटिंग लटकते मिलते हैं। यहां खरीदारी करने वालों को भेल, भजिया, एगरोगल, जलेबी, पोहा, बड़ा, समोसा, कागजों में लपेटकर दिया जाता है। लोग भी बड़े मजे से जहरीले केमिकल से प्रिंट हुए कागजों में स्ट्रीट फूड का मजा लेते हंै। कई ठेलों में इन कागजों पर धूल भी जमी रहती है और सफाई किए बगैर ही उसमें खाद्य सामग्री पैक कर सीधे ग्राहकों दिया जाता है। सडक़ किनारे लगने वाले ठेलों में अब तक कभी भी फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के अधिकारी जांच करने नहीं पहुंचते। न ही अफसरों को कभी भी कागज में खाद्य सामग्री लपेटकर देने की जानकारी किसी ने दी। लिहाजा ठेले वाले बेखौफ केमिकल युक्त कागजों का उपयोग कर रहे हैं। उपभोक्ता नियमों की बात करें तो उन्हें सादे कागज में खाद्य पदार्थ देने का नियम है। विभाग का कहना है कि केमिकल युक्त कागज में स्ट्रीट फूड खाने से धीरे-धीरे धीमी जहर से स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। जानकारी के बाद भी खाद्य एवं औषधि सुरक्षा विभाग के अधिकारी मूक दर्शक बने बैठे हैं। अब तक शहर कार्रवाई ही नहीं की गई है और नहीं लोगों में जागरुकता के प्रयास किए गए हैं।
मालूम हो कि अखबार प्रिंट करने के लिए स्याही बनाने खतरनाक केमिकल का उपयोग होता है। इसके लिए डाई आईसोब्यूटाइल फटालेट,डाइएन आइसोब्यूटाइलेट जैसे केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा स्याही के रंग को और गाढ़ा बनाने के लिए कागज की छपाई में कई केमिकल के मिश्रण का इस्तेमाल होता है जो धीमी जहर का काम करता है। अत: प्रिंटेड कागज में लपेटकर देने से कैंसर का खतरा रहता है।
सीएमएचओ डॉ.आई नागेश्वर राव ने बताया कि केमिकल युक्त समाचार पत्रिका में दी जाने वाली खाद्य सामग्री में कैंसर का खतरा रहता है। साथ ही आहार तंत्र की सबसे ज्यादा समस्या आती है। कागज के माध्यम से गर्म खाद्य पदार्थ रखने पर स्याही खाने से चिपककर सीधे पेट में जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक साबित होता है। शहर के नाली किनारे ठेले और गुमठी वाले बिना किसी सुरक्षा के खुले में ही नास्ता रख रहे हंै। इससे सडक़ किनारे के धूल और नालियों के मच्छर-मक्खियां झूमते रहते हैं। इससे लोगों के स्वास्थ्य में गंभीर असर पड़ सकता है। अत: खाद्य सामग्रियों को बंद कांच की बाक्स में रखने चाहिए जिससे धूल और मक्खियों से सुरक्षित रह सके। साथ ही बगैर प्रिंट वाले कागज का इस्तेमाल होना चाहिए।


