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महासमुंद के कई गांवों में गुरु नानक देव के मंदिर
29-Nov-2025 8:05 PM
महासमुंद के कई गांवों में गुरु नानक देव के मंदिर

बंजारा समाज द्वारा मूर्ति स्थापना की परंपरा जारी

रजिंदर खनूजा

पिथौरा, 29 नवंबर ( ‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। महासमुंद जिले के पिथौरा विकासखंड के ग्राम लीलेसर, ठाकुरदिया खुर्द तथा आसपास के लगभग आधा दर्जन गांवों में गुरु नानक देव के मंदिर स्थापित हैं। सिख समुदाय परंपरागत रूप से मूर्ति पूजा नहीं करता और गुरु ग्रंथ साहिब को ही गुरु स्वरूप मानता है, लेकिन इन गांवों में बंजारा समाज द्वारा गुरु नानक देव की मूर्ति स्थापित कर पूजा करने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। समाज के सदस्यों के अनुसार, यह परंपरा उनके पूर्वजों के समय से जारी है।

बंजारा समाज द्वारा संचालित इन मंदिरों में कुछ स्थानों पर हवन-पूजन जैसी गतिविधियां भी होती हैं। पिथौरा विकासखंड के लीलेसर और ठाकुरदिया खुर्द, बागबाहरा विकासखंड के बकमा और दाबपाली, तथा बसना विकासखंड के जेवरा में गुरु नानक देव के मंदिर स्थित हैं। लीलेसर गांव में लगभग 350 लोग बंजारा समाज से संबद्ध बताए जाते हैं। गांव के सरपंच विष्णु बंजारा और समाज के वरिष्ठ सदस्य गुहाराम बंजारा ने बताया कि उनके यहां गुरु नानक देव की मूर्ति की पूजा पीढिय़ों से होती आ रही है और जिले के करीब पांच गांवों में ऐसे मंदिर मौजूद हैं।

गुहाराम बंजारा के अनुसार, मंदिरों में मूर्ति की स्थापना तथा पूजा के लिए पुजारी की नियुक्ति की गई है। वहीं, सिख परंपरा के अनुसार गुरु ग्रंथ साहिब को ही गुरु माना जाता है, जिसकी पुष्टि ‘सब सिक्खन को हुक्म है गुरु मान्यो ग्रंथ’ के उल्लेख से होती है। इसके बावजूद, बंजारा समाज की परंपरा को देखते हुए सिख समुदाय के लोग भी अब उनके धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होने लगे हैं।

बंजारा समाज के सदस्यों के अनुसार, जन्म से लेकर मृत्यु तक के कई संस्कार गांवों के गुरुनानक मंदिर में ही संपन्न होते हैं। समाज की मान्यता के अनुसार दो-तीन गांवों के मध्य एक मंदिर स्थापित किया गया है, जहां सामाजिक और व्यक्तिगत दोनों प्रकार के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। सिख समुदाय के कुछ लोग भी इन कार्यक्रमों में भाग लेते हुए देखे जा रहे हैं।

गुरु नानक जयंती पर कार्यक्रम

लीलेसर, बकमा, दाबपाली, जेवरा और ठाकुरदिया खुर्द सहित कई गांवों में बंजारा समाज का निवास है। लीलेसर में प्रतिवर्ष गुरु नानक जयंती पर आयोजन किया जाता है। सरपंच विष्णु बंजारा और इंदल बंजारा ने बताया कि मांगलिक कार्यक्रमों में गुरु नानक देव की मूर्ति पर चांदी का सिक्का चढ़ाने और पारंपरिक गीत गाने की परंपरा भी लंबे समय से प्रचलित है।

पूजा परंपरा में पीढ़ी-दर-पीढ़ी सहभागिता

सिख समुदाय में मूर्ति पूजा प्रचलित नहीं है, पर बंजारा समाज के लोग पीढिय़ों से गुरु नानक देव की मूर्ति पूजा करते आ रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, अब बंजारा समाज द्वारा सिख समुदाय को ‘गुरु भाई’ का दर्जा देकर उनके धार्मिक कार्यक्रमों में सहभागिता भी बढ़ी है। लीलेसर स्थित गुरुनानक मंदिर में गुहाराम फिरगी, मोहित राम, डोंगर सिंह, रामलाल, इंदल शिला बाई, काला बाई कुमारी, पारो, रिंकू ओबेरॉय और जसपाल सिंह सहित कई लोगों को मंदिर गतिविधियों में जुटा देखा गया।


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