महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,15 नवंबर। समर्थन मूल्य पर आज शनिवार से धान खरीदी शुरु हो गई है। ज्ञात हो कि धान खरीदी को लेकर जिला प्रशासन ने सभी 182 धान उपार्जन केंद्रों के लिए प्रभारी प्रबंधकों की नियुक्ति पहले ही कर ली है। इसी क्रम में अब सभी उपार्जन केंद्रों में आउट सोर्सिंग के माध्यम से 6 माह के लिए डाटा एंट्री ऑपरेटर्स की भी नियुक्ति कर ली गई है। हालांकि हड़ताली प्रबंधकों, लिपिक, डाटा एंट्री ऑपरेटर्स, चपरासी, चौकीदार तथा सेल्समेन को कार्य से हटाया नहीं गया है। प्रशासन ने उनकी हड़ताल की वजह से व्यवस्था बनाई है।
शुक्रवार को ही नए ऑपरेटर्स का वन विद्यालय महासमुंद में धान खरीदी को लेकर प्रशिक्षण हुआ है। फिलहाल केंद्रों में पटवारी,कृषि विस्तार अधिकारी तथा कृषि विकास अधिकारी ही धान खरीदी करेंगे। मिली जानकारी के अनुसार बीते 13 दिनों से जिला मुख्यालय सहित प्रदेश भर के प्रबंधक, ऑपरेटर्स, सेल्समेन, लिपिक, चौकीदार, चपरासी अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
ऐसे में धान उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी को लेकर प्रशासन का बीते 13 सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ एवं समर्थन मूल्य धान खरीदी ऑपरेटर संघ की चार सूत्रीय मांगों पर शासन से कल 14 नवंबर को भी कोई सकारात्मक वार्ता नहीं होने से आंदोलन स्थगित नहीं हो पाया। लगातार आश्वासनों से नाराज कर्मचारी अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर अड़े हुए हैं। जिसके कारण कल 15 नवंबर से प्रारंभ होने वाली धान खरीदी की तैयारियां पूरी तरह गड़बड़ा गई हैं। समितियों में कल शुक्रवार को दिनभर ताले लटके रहे।
कल दिन भर खरीदी केंद्रों में पूरा दिन सन्नाटा पसरा रहा। कर्मचारियों की अनुपस्थिति के कारण न तो तौल कांटा की व्यवस्था व्यवस्था दिखाई दी और न ही खरीदी केंद्रों की नियमित तैयारियां दिखाई दी। कई किसान धान की टोकन प्राप्त करने सहकारी समिति के कार्यालय में आए लेकिन कोई कर्मचारी नहीं मिलने के कारण बैरंग वापस लौट गये।
किसानों का कहना है कि खरीदी शुरू होने से शुरू होने से ठीक एक दिन पहले धान खरीदी केंद्रों का इस तरह बंद होना चिंता बढ़ाने वाला है। वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों का कहना है कि 2023-24 और 2024-25 की खरीदी में हुई सूखत राशि का भुगतान अब तक नहीं ’किया गया है। सुरक्षा व्यय और कमीशन बढ़ाने का प्रस्ताव वर्षों से लंबित है। आउट सोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त कंप्यूटर ऑपरेटर अब तक नियमित नहीं किए गए हैं और समितियों को मिलने बाला वार्षिक प्रबंधकीय अनुदान तीन लाख रुपए किए जाने के साथ-साथ कांडे कमेटी की सिफारिशों के अनुसार भविष्य निधि, ईएसआईसी और महंगाई भत्ता जैसी सुविधाओं का लाभ अभी तक नहीं मिल पाया है।
कर्मचारियों का यह भी कहना है कि इन मुद्दों पर वर्षों से चर्चा तो होती रही, पर किसी भी मांग पर ठोस कार्रवाई आज तक नहीं हुई। इधर प्रशासन ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत राजस्व विभाग के पटवारी और कृषि विभाग के कर्मचारियों से खरीदी संचालन कराने की बात कही है लेकिन इन विभागों के कर्मचारियों ने भी स्पष्ट किया है कि धान खरीदी की प्रक्रिया अत्यंत तकनीकी और अनुभव आधारित है और वे यह कार्य संभालने में असमर्थ हैं। बगैर प्रशिक्षण और अनुभव के गलती होने की आशंका बनी रहेगी। इससे खरीदी व्यवस्था और अधिक अव्यवस्थित हो सकती है। कर्मचारियों ने कहा है कि जब तक उनकी चार सूत्रीय मांगें कैबिनेट में स्वीकृत नहीं हो जातीं, वे कार्य पर वापस नहीं लौटेंगे और आंदोलन जारी रहेगा।
मालूम हो कि कल ही प्रदेश भर के आरईओ तथा पटवारी के संगठनों ने चेतावनी दी है कि वे धान खरीदी नहीं करेंगे। यदि पटवारी तथा आईओ धान खरीदी नहीं करते हैं तो शासन के पास और कोई विकल्प शेष नहीं रहेगा। आज समाचार तैयार करते उपार्जन केंद्रों के बंद ताले खुल गये हैं और कांटा बांट आदि के संयोजन की तैयारी जारी है। बीते 13 दिनों से जारी हड़ताल को आगे ले जाते हुए समिति प्रबंधक, लिपिक, चौकीदार तथा सेल्समेन आज भी लोहिया चौक के समीप अपनी मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी कर रहे हैं।
आज महासमुंद में 5 जिले बलौदाबाजार, रायपुर, महासमुंद, गरियाबंद के सहकारी अधिाकरी कर्मचारी पहुंचे हैं और आज से धान खरीदी का बहिष्कार कर रहे हैं। धान खरीदी शुरू हो जाने के बाद भी न तो सहकारी कर्मियों की हड़ताल समाप्त हुई और न ही केबिनेट की बैठक में इस संबंध में किसी प्रकार की चर्चा हुई हैं। बहरहाल अधिकांश धान खरीदी केंद्रों में सफाई, पेयजल, बिजली व्यवस्था की जा रही है।


