महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 10 नवंबर। नगर से लगभग 40 किलोमीटर दूर सोनाखान क्षेत्र में शासन के आदेश के तहत स्वर्ण खनन कार्य शुरू किया जा रहा है। बाघमारा जंगल क्षेत्र में हुए सर्वे में सोने के भंडार की पुष्टि के बाद खनन का टेंडर वेदांता लिमिटेड को प्राप्त हुआ है। कंपनी ने पिछले दिनों भूमिपूजन कर प्रारंभिक कार्य शुरू किया है।
राज्य सरकार द्वारा सोनाखान गोल्ड माइंस की ई-नीलामी की गई थी, जिसमें वेदांता लिमिटेड ने आईबीएम विक्रय मूल्य 74,712 रुपये प्रति ट्राय ऑन्ज का 12.55 प्रतिशत बोली लगाई थी।
भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण संगठन (जीएसआई)द्वारा 1983 से 1991 के बीच किए गए अध्ययन में सोने की उपलब्धता का उल्लेख है। वर्ष 2015 में इस क्षेत्र को वाणिज्यिक खनन के योग्य घोषित किया गया था।
खनन शुरू होने पर सोनाखान देश की चौथी सक्रिय स्वर्ण खदान बन सकती है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, यह खदान 608 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थित है और यहां लगभग 2700 किलो सोने का भंडार होने का अनुमान है।
जीएसआई के अनुसार, सतह के ऊपरी हिस्से से ही लगभग 500 किलो सोने का उत्खनन संभव बताया गया है। राज्य को इससे राजस्व प्राप्त होगा।
जंगलों को लेकर ग्रामीणों की आशंकाएं
खनन क्षेत्र में सागौन और बांस के पेड़ों की उपस्थिति को देखते हुए ग्रामीणों और पर्यावरण समर्थकों ने पेड़ों की कटाई को लेकर आशंका व्यक्त की है। ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने यह चिंता कंपनी के प्रतिनिधि सिद्धा राजू के समक्ष रखी थी। परन्तु कंपनी द्वारा पेड़ों को काटे बगैर ही खुदाई करने की बात की है, इसके लिए उन्होंने खुदाई की छोटी मशीनें भी ग्रामीणों को दिखाई।
इस संबंध में ग्रामीण गोपलाल पटेल ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि कंपनी के खनन मैनेजर से चर्चा से यह स्पष्ट है कि खनन के लिए जंगल नहीं काटे जाएंगे। बल्कि जिस खेत में खनन मशीन लगाई जाएगी, उस खेत मालिक को मुआवजा भी दिया जाएगा।
कंपनी की ओर से कहा गया है कि खनन कार्य के दौरान वनभूमि को नुकसान नहीं पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा तथा छोटे स्तर की मशीनों से उत्खनन किया जाएगा। कंपनी का कहना है कि यदि किसानों की जमीन का उपयोग होता है तो मुआवजा प्रदान किया जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि वे कंपनी द्वारा दिए आश्वासन पर ध्यान बनाए रखेंगे।
पहले भी स्थानीय स्तर पर सोने के अंश एकत्र किए जाते रहे
जानकारी के अनुसार, सोनाखान क्षेत्र के कुछ स्थानों पर ग्रामीण पारंपरिक तरीकों से मिट्टी से सोने के महीन कण निकालते रहे हैं। इस कार्य से मजदूरी जैसी आय होती थी। पूर्व में खनन सर्वे के दौरान पर्यावरण से जुड़े कारणों के चलते गतिविधियां रोक दी गई थीं। अब पुन: खनन प्रक्रिया शुरू की जा रही है।


