महासमुन्द

राज्य रजत जयंती पर आस्था की छत्तीसगढ़ी काव्य गोष्ठी
07-Nov-2025 4:20 PM
 राज्य रजत जयंती पर आस्था  की छत्तीसगढ़ी काव्य गोष्ठी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 7 नवंबर। छत्तीसगढ़ राज्य रजत जयंती के अवसर पर आस्था साहित्य समिति महासमुंद द्वारा छत्तीसगढ़ी काव्य गोष्ठी का आयोजन के.आर.चंद्राकर के निवास स्थान जगत विहार कालोनी महासमुंद में किया गया। इस अवसर पर आस्था साहित्य समिति अध्यक्ष आनंद तिवारी द्वारा छत्तीसगढ़ी की महत्ता को प्रतिपादित करते मया के अमरित बानी, महानदी के पानी पुतरी आंखी के अन्तस के सुवांसा लहू मं महतारी भासा, साहित्यकार श्रीमती एस.चन्द्रसेन ने मोर गांव के पबरित माटी चंदन मैं मान लगावंव माथ मं..बम्हरी फूड़हल फूल करणफूल मैं जान के पहिरेव साध मंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं, डा. साधना कसार ने कहा कि छत्तीसगढ़ महतारी ल बारम्बार परणाम करत हंव, रायपुर से पधारी वयोवृध्द साहित्यकार आशा मानव ने धीरे-धीरे धीरे दुनिया बाढ़त रहिथे अपन रुप ल ये दुनियां सवारत रहिथे कविता पढ़ीं।

काव्य गोष्ठी का छत्तीसगढ़ी में शानदार संचालन करते हुये साहित्यकार टेकराम सेन ने कहा कि भौजी के ठिठोली, बबा के मीठ बोली, पीपर के छईहां, मोर गांव अऊ गवईहा, गुड़ी के गोठ, गली मं चौरा के बइठैया, गांव के गली मोहल्ला सुन्ना होगे, जब ले मोर गांव शहर होगे सुनाई।

छत्तीसगढ़ी व्यंजन के प्रचलन बंद होते देख चिन्ता जाहिर करते हुए सरिता तिवारी ने कहा कि सिरा जाही का रे सिरा जाही का तिजहा रोटी के बनाना, साइकिल में बाई के आना, अंगाकर रोटी बासी अऊ चिरपोटी पताल के चटनी सिरा जाही का।

बागबाहरा से पधारे छत्तीसगढ़ी गजलकार हबीब खान समर ने कईसे करही ये मोर जिनगानी तंै काबर मोला धोखा दिए ना, मोर जिवंरा होगे रे चानी चानी, तै काबर मोला धोका दिए ना सुनाया।

               नवोदित हस्ताक्षर भोरिंग से पधारे हर्ष साहू ने तथा गीतकार विवेक रहंटगांवकर ने गिरिज पंकज के गजल संग्रह का छत्तीसगढ़ी अनुवाद सुनाया कि झन पूछ काबर लिखना जरुरी हे। इस अवसर पर उन्होंने अनुवादित पुस्तक एक दिन हमरो आही को आस्था साहित्य समिति को भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन टेकराम सेन व आभार केआर चंद्राकर ने  व्यक्त किया।


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