महासमुन्द

इस साल 77 बेटियों का अपहरण, 38 को पुलिस ने ढूंढ लिया, बेमचा की पांच बेटियां रेल से कटकर मां के साथ दफन हो गई
31-Dec-2021 6:17 PM
इस साल 77 बेटियों का अपहरण, 38 को पुलिस ने ढूंढ लिया, बेमचा की पांच बेटियां रेल से कटकर मां के साथ दफन हो गई

अपहरण व गुमशुदगी के मामले को देखते हुए टीम बनाई गई है-मेघा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद, 31 दिसंबर। साल जनवरी से नवंबर तक महासमुंद जिले के थानों में 77 नाबालिग और बालिग बेटियों के अपहरण-गुमशुदगी के मामले दर्ज हैं। इनमें से 38 बेटियों को पुलिस ने ढूंढ लिया है। वहीं 39 बेटियों तक पुलिस अभी तक पहुंच नहीं पाई है। ये बेटियां अपने परिवार से दूर हैं। इनका सुराग भी अभी तक पुलिस को नहीं मिला है। पिछले तीनों साल में बेटियों की गुमशुदगी व अपहरण के मामले इस साल संख्या काफ ी बढ़ी है। इसी साल 10 जून 2021 की सुबह महासमुंद जिले में झकझोर देने वाली खबर थी कि इसी दिन जिला मुख्यालय से चंद किमी दूर स्थित बेमचा के एक ही परिवार की पांच बेटियों ने अपनी मां के साथ ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी थी।

इस आत्महत्या के लिए शराबी पति के चलते मानसिक परेशानी को प्रथमदृष्टया कारण बताया गया। तब प्रदेश में सत्तासीन कांग्रेस पार्टी के शराबबंदी के वादे को लेकर विपक्षी दलों ने मोर्चा खोला और इस पर जमकर राजनीति भी हुई। छहों के शवों को बेमचा स्थिति मुक्तिधाम में एक ही कब्र में दफन किया गया।

अपहरण के मामलों में पुलिस टीम बनाकर बेटियों को ढूंढ रही है। साइबर सेल से इनकी लोकेशन ट्रेस किए जा रहे हैं लेकिन 39 बेटियों को ढूंढने में सफलता नहीं मिली है। पिछले साल 2020 में 48 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से पुलिस ने 28 मामले का खुलासा कर लिया गया था और 20 मामले अभी भी पेंडिंग है, जिसकी पतासाजी जारी है। पिछले तीन सालों में सबसे ज्यादा मामले इस साल गुमशुदगी के इस साल दर्ज हैं। इस साल 77 बालिकाओं के गुम व अपहरण की रिपोर्ट थानों में दर्ज की गई है। साल 2018 में 38, 2019 में 57 एवं 2020 में 48 मामले सामने आए हैं। पुलिस अफसरों की मानें तो ज्यादातर प्रेम विवाह का मामला सामने आया है। लड़कियां शादी करने के लिए अपने घर से भाग रही है। इसमें सबसे ज्यादा नाबालिग हैं।

चालू दिसंबर में महीने में 8 मामले अपहरण के दर्ज किए गए हैं। इन्हें भी अज्ञात व्यक्ति बहला फुसलाकर अपहरण कर भगा ले गया है। माता-पिता ने एफआईआर दर्ज कराई है, लेकिन उनका पुलिस पता नहीं लगा पाई है। बेटियों के अपहरण के मामले दर्ज कराने के बाद परिजन थानों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अब तक उनके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।

एडिशनल एस पी मेघा साहू टेंभुरकर का कहना है कि अपहरण व गुमशुदगी के मामले को देखते हुए टीम बनाई गई है। टीम लगातार लोकेशन ट्रेस कर पतासाजी कर रही है। इनका कहना है कि गुमशुदगी अपहरण के ज्यादातर मामले बालिग वाले होते हैं। लडक़े लड़कियां घर से भागकर शादी कर लेते हैं। लोकेशन ट्रेस होने के बाद टीम पकडक़र लाती है। बीते 1 जनवरी से 30 नवंबर तक 77 बालिका के गुमशुदगी.अपहरण का मामला दर्ज है। इसमें से 38 बालिकाओं को ढूंढ लिया गया है। वहीं 39 को ढूंढने के लिए टीम पतासाजी कर रही है।


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