महासमुन्द

महासमुंद जिले के 28 गौठानों में गोबर गैस संयंत्र स्थापित
18-Dec-2021 6:40 PM
महासमुंद जिले के 28 गौठानों में गोबर गैस संयंत्र स्थापित

ग्रामीणों की रसोई में भी हो रहा गोबर गैस का उपयोग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,17 दिसंबर।
छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक सुराजी योजना और गोधन न्याय योजना अंतर्गत जिले की सभी गौठानों में गोबर खरीदी कर ग्रामीणों को स्वावलंबी बनाने का कार्य किया जा रहा है। योजना में कदम आगे बढ़ाते हुए गोबर गैस का उत्पादन कर गौठान को रौशन करने की परिकल्पना साकार हो रही है।

जिला क्रेडा अधिकारी ने बताया कि जिले के 28 गौठनों में गोबर गैस संयंत्र स्थापित किए गए। जिले के बसना विकासखंड के ग्राम पंचायत संतपाली में बने गौठान में गोबर गैस स्थापित किया जा रहा है। यहां संयंत्र की स्थापना का कार्य पूर्णता की ओर है इसके बाद गोबर गैस से यह गौठान भी गोबर गैस से जगमग होने लगेगा। इस पर लगभग 60 हजार रुपए व्यय किए जा रहें हंै। जिसमें 10 हजार रुपए खनिज न्यास निधि से व्यय हो रहे हैं। शेष राशि विभाग द्वारा व्यय की जा रही है।

ग्राम संतपाली के सरपंच सुरेश निषाद का कहना है कि राज्य सरकार की नरवा, गरवा, घुरूवा एवं बाड़ी योजना से गौठान समिति के सदस्यों में खासा उत्साह है। यह योजना गौठान समिति के लिए आय का स्तोत्र बन गया है। उन्होंने बताया कि गौठानों में अब गोबर से गैस उत्पादन करने के लिए संयंत्र लगाने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। जिससे शीघ्र ही गोबर से गैस उत्पादन किया जाएगा एवं अधिक उत्पादन होने पर यह गैस घरों में भी सप्लाई की जाएगी। अभी छोटा प्लांट लगाया गया है। जिससे गौठान में गैस से जलने वाले बल्ब लगाए जाएंगे एवं प्रकाश की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही इस गैस से सिलेंडर भी भरे जाएंगे जो कि रसोई में उपयोग होने वाली गैस के रूप में काम आएंगे एवं महिलाएं अपने घरों में सस्ती गैस से खाना बना सकेंगी।

गौठान समिति द्वारा गोबर से गैस बनाएंगे और स्थानीय घरों में गोबर गैस से रसोई के चूल्हे भी जलेंगे। गौठान में गोबर से सस्ती गैस का उत्पादन होने के साथ-साथ जैविक खाद का भी उत्पादन होगा। इससे गौठान समितियों और महिला स्वसहायता समूहों को दोहरा लाभ होगा। यहां गोधन न्याय योजना के तहत दो रुपये किलो में गोबर की खरीदी कर बड़े पैमाने पर जैविक खाद का उत्पादन एवं अन्य आयमूलक गतिविधियां समूह की महिलाओं द्वारा संचालित की जा रही है।

महासमुंद जिले में वर्तमान में 170 गौठानों को स्वावलंबी गौठान की श्रेणी में रखा गया है। उक्त गौठानों में गोबर खरीदी के साथ-साथ मल्टी एक्टिविटी गतिविधियां संचालित किया जा रहा है। जिसमें मुख्य रूप से मुर्गी पालन, मशरूम, सामुदायिक बाड़ी विकास, सामुदायिक साग सब्जी उत्पादन, सामुदायिक फलों की खेती, पपीता, गेंदाफूलों की खेती, दीये एवं गमले निर्माण, मछली पालन, जैविक गुलाल निर्माण किया जाता है।

नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाडड़ी अंतर्गत जिले के गौठानों में  पशुओं की चारा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए किसानों द्वारा पैरा दान किया जा रहा है। कृषि विभाग द्वारा बेलर मशीन के माध्यम से पैरा एकत्र कर गठ्ठेे बनाये जा रहे हैं। सुराजी गांव योजना के अंतर्गत जिले में पशुओं के देखरेख के लिए गौठानों को मल्टी एक्टिविटी सेन्टर के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिले में कुल 551 ग्राम इसमें 469 राजस्व तथा 86 आवर्ती चराई भूमि पर गौठान स्वीकृत है। इन सभी गौठानों को ग्रामीण आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। जिसमें गोधन न्याय योजनांतर्गत गोबर खरीदी, वर्मी कम्पोस्ट निर्माण, मुर्गी पालन, बकरी पालन, डेयरी विकास, बाड़ी विकास, मशरूम उत्पादन इत्यादि आजीविका संबंधी गतिविधियां संचालित है।

महासमुंद जिले के सभी विकासखण्डों में कुल 551 गौठान स्वीकृत है जिसमें से माह नवम्बर के अंत तक 183 महिला समूहों के माध्यम से 134 गौठानों में 36 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद उत्पादन कर 3.60 करोड़ का विक्रय हुआ है। जिसमें से 30 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद, राशि 3 करोड़ का विक्रय किया जा चुका है। वहीं 6 हजार क्विंटल वर्मी सुपर कम्पोस्ट 60 लाख का विक्रय किया गया है। वर्मी कम्पोस्ट खाद के अलावा जिले के गौठानों में अन्य प्रकार की आर्थिक गतिविधियां की जा रही है। जिससे ग्रामीणों और महिला समूहों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है।


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