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दो निरक्षरों के पीएम आवास चोरी, शिकायत के 12 दिन भी एफआईआर नहीं
23-Jun-2020 2:41 PM
दो निरक्षरों के पीएम आवास चोरी, शिकायत के 12 दिन भी एफआईआर नहीं

'छत्तीसगढ़' संवाददाता

बिलासपुर, 23 जून। गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के पेण्ड्रा जनपद ने एक नया कारनामा किया है। जनपद कार्यालय से 200 मीटर दूर पर ही रहने वाले दो हितग्राहियों के प्रधानमंत्री आवास चोरी हो गए। यानि हितग्राहियों के नाम पर फर्जी रिकॉर्ड तैयार कर आवास योजना की राशि तो निकाल ली गई है लेकिन उन्हें आवास नहीं मिले और किराये के कच्चे घर में रह रहे हैं। पेन्ड्रा पुलिस को घटना की शिकायत 12 दिन पहले की जा चुकी है पर अब तक इस मामले में वह जांच ही होने की बात कह रही है।  

पेंड्रा जनपद पंचायत मुख्यालय के दो हितग्राही लल्ली रौतेल और उषा कोल के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है कि उनके पक्के मकान गायब हो गए हैं। दोनों हितग्राहियों को पता भी नहीं चला कि उनके नाम पर आवास स्वीकृत हैं। दरअसल हितग्राहियों के पास उनकी खुद की कोई ऐसी जमीन नहीं थी जिस पर वह अपना आवास बनवा सकें।  जनपद के अधिकारी कर्मचारियों ने इसका फायदा उठाते हुए उन्हें किराये के घर के सामने खड़ा करके फोटो ली और जियो टैगिंग भी कर दी। पर इसके बाद उनको तो कभी आवास के लिए पंचायत से जमीन आवंटित की गई और ना ही आवास बना। फर्जी फोटो फर्जी  जियो टैगिंग के साथ ही पता चला है कि उनके नाम पर फर्जी खाते खुलवा लिये गये और पूरे पैसों का आहरण कर लिया गया।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत यह प्रावधान है कि जिस हितग्राही की जमीन नहीं है उसे पंचायत सरकारी जमीन आबंटित करेगी। दोनों शिकायतकर्ता निरक्षर हैं जिसका फायदा जनपद के लोगों ने उठाया और उनके नाम पर आई राशि हड़प ली। 

दोनों हितग्राहियों ने आवास के चोरी होने की शिकायत 12 जून से पेंड्रा थाने में दर्ज करा दी है पर थाना प्रभारी आई तिर्की का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। अभी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। हैरानी है कि जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विनोद कुमार ओगरे का पता नहीं होने की बात कर रहे हैं। शिकायत के बाद वे कह रहे हैं कि पूरे मामले की उन्होंने रिपोर्ट मांगी है। हितग्राहियों को आवास मिले यह पहला काम होगा।  

कलेक्टर डोमन सिंह ने कहा है कि यह घटना मेरे संज्ञान में लाई गई है। पूरे मामले की जांच रिपोर्ट मांगी गई है। कलेक्टर का भी कहना है कि दोनों हितग्राहियों को आवास दिलाया जायेगा और दोषियों पर कार्रवाई की जायेगी।
 
वैसे आदिवासी बाहुल्य पेन्ड्रा, गौरेला, मरवाही इलाकों में इस तरह के शासकीय अनुदान को हड़पने का मामला पहला नहीं है। पहले कुआं, शौचालय और इंदिरा आवास के मकान गायब हो चुके हैं। इस घटनाओं दोषियों पर ठोस कार्रवाई भी नहीं होती है। 


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