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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर अश्लील, आपत्तिजनक या अवैध सामग्री को नियंत्रित करने के लिए एक 'निष्पक्ष, स्वतंत्र और स्वायत्त' संस्था बनाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.
लाइव लॉ के मुताबिक़, कोर्ट ने कहा कि मीडिया संस्थानों की ओर से अपनाया जा रहा 'सेल्फ-रेगुलेशन' मॉडल प्रभावी नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच पॉडकास्टर रणवीर इलाहाबादिया और अन्य लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.
ये याचिकाएं 'इंडियाज़ गॉट लेटेंट' शो में अश्लील सामग्री को लेकर दर्ज एफ़आईआर से जुड़े हैं. कुछ महीने पहले इस शो को लेकर काफ़ी विवाद देखने को मिला था.
लाइव लॉ के मुताबिक़, सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने कुछ नए दिशानिर्देश प्रस्तावित किए हैं और इस मुद्दे पर संबंधित पक्षों से चर्चा चल रही है.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह समस्या केवल 'अश्लीलता' तक ही सीमित नहीं है, बल्कि 'यूज़र्स की ओर से बनाए गए कंटेंट (यूजीसी)' में फैली 'झूठ' तक है, जिसे लोग अपने यूट्यूब चैनल या अन्य प्लेटफ़ॉर्म पर डालते हैं.
सीजेआई सूर्यकांत ने हैरानी जताई कि ऐसे कॉन्टेंट क्रिएटर्स के लिए कोई नियम ही नहीं है. उन्होंने कहा, "मैं अपना चैनल बना लूं और मैं किसी के प्रति जवाबदेह न रहूं...किसी न किसी को तो जवाबदेह होना ही चाहिए."
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, सीजेआई ने कहा, "अभिव्यक्ति के अधिकार का सम्मान होना चाहिए. अगर किसी कार्यक्रम में एडल्ट सामग्री है, तो पहले से चेतावनी दी जानी चाहिए." (bbc.com/hindi)


